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नेट पास करने वाली दृष्टिबाधित मुस्कान के जीवन में आई 'मुस्कान'

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के सात दिव्यांग विद्यार्थियों ने पहली बार यूजीसी राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) पास की है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 03 Aug 2018 05:24 PM (IST)Updated: Fri, 03 Aug 2018 05:24 PM (IST)
नेट पास करने वाली दृष्टिबाधित मुस्कान के जीवन में आई 'मुस्कान'

जागरण संवाददाता, शिमला। कोई भी परीक्षा पास करना आसान नहीं होता है। विशेषकर दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए हर परीक्षा मुश्किल भरी होती है क्योंकि उनके सामने हर पल नई चुनौती होती है। इसके बावजूद दिव्यांगों के हौसले के आगे चुनौती भी हार रही है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के सात दिव्यांग विद्यार्थियों ने पहली बार यूजीसी राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) पास की है। इनमें हिमाचल प्रदेश चुनाव विभाग की यूथ आइकन रही मुस्कान, अनुज कुमार, विनोद शर्मा, जसबीर सिंह लुबाना, अजय कुमार, सतीश कुमार व प्रियंका ठाकुर शामिल हैं।

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दृष्टिबाधित मुस्कान की जिंदगी में अब और मुस्कान आ गई है। उसने पहले ही प्रयास में संगीत विषय में यूजीसी नेट पास किया है। वह प्रदेश में पहली दृष्टिबाधित छात्रा बन गई है, जिसने नेट पास किया है। शिमला जिला के चिड़गांव क्षेत्र की निवासी मुस्कान के पिता जय चंद नेगी, मां अंबिका देवी, दो भाई व बहनें उसकी उपलब्धि से काफी खुश हैं। मुस्कान ने बताया कि उसने ऑनलाइन वीडियो व ऑडियो सुनकर परीक्षा की तैयारी की थी। गत छह जून को एमए द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा खत्म हुई थी। आठ जुलाई को नेट दिया। मैं दिन में चार से पांच घंटे परीक्षा की तैयारी करती थी। रीजनिंग पहले ही सीखी थी। इस कारण पेपर में दिक्कत नहीं हुई।

अफसोस है कि जेआरएफ की परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाई। अब मैं दोबारा जेआरएफ के लिए तैयारी करूंगी। परीक्षा की तैयारी में बुआ शबनम ने बहुत मदद की है। जिस दिन नेट था, मेरी चाची अस्पताल में चेकअप करवाने के लिए आई थीं। मैंने उन्हें ही परीक्षा में राइटर बनाया। जब से विवि में आई हूं, कभी एहसास नहीं हुआ कि मैं देख नहीं सकती हूं। मेरे लिए सभी मदद करते हैं। विभाग हो या हॉस्टल, कभी कोई परेशानी नहीं हुई। सब लोग सहयोग करते हैं। अजय श्रीवास्तव सर ने हमारी जिंदगी बदल दी है। आज अगर मैं किसी मुकाम पर हूं तो इसके पीछे उनका संघर्ष काफी है। मेरे दैनिक कार्यों में रूम पार्टनर प्रियंका दीदी काफी सहयोग करती हैं। खुश हूं कि दीदी का भी नेट पास हो गया है। मुस्कान के पिता बागवान हैं। उनका सेब का बगीचा है। मुस्कान की पढ़ाई में उसके परिवार ने हमेशा सहयोग किया है। विश्वविद्यालय में मुस्कान की उपलब्धि से खुशी है।

कड़ी मेहनत से हासिल किया मुकाम

इन विद्यार्थियों को सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए उमंग फाउंडेशन के संस्थापक प्रो. अजय श्रीवास्तव ने विश्वविद्यालय से लेकर कोर्ट तक लड़ाई लड़ी है। प्रो. अजय ने कहा कि इन बच्चों ने कड़ी मेहनत कर अहम मुकाम हासिल किया है। ऐसे विद्यार्थियों को कई बेचारा कह कर उपेक्षित कर देते हैं, इस भावना को दूर करना होगा। फाउंडेशन नेट पास करने वाले तीन विद्यार्थियों को लैपटॉप दे चुकी है। इसके अलावा दो विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दे रही है। विवि में विशेष पुस्तकालय बनाया गया है जिसमें टाकिंग सॉफ्टवेयर कंप्यूटर लगाए गए हैं।


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