धर्मातरण कर विवाह करवाया, पजाब में बेच दिया
प्रदेश में गरीब लोगों को पैसे का लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। इतना ही बेटियों को धर्म परिवर्तन कर उनका विवाह करवाया जा रहा है और बाद में उन्हें प्रदेश के बाहर ले जाकर कर बेचा जा रहा है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश में गरीब लोगों को पैसे का लालच देकर उनका धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। इतना ही बेटियों का धर्म परिवर्तन कर उनका विवाह करवाया जा रहा है और बाद में प्रदेश के बाहर ले जाकर बेचा जा रहा है। यह बात विधायक राकेश पठानिया ने विधानसभा में हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता विधेयक 2019 पर चर्चा के दौरान कही। उन्होंने कहा कि ऐसे चार मामले उनके ध्यान में आए हैं, जिसमें बेटियों का धर्मातरण कर विवाह करवाया गया। उसके बाद उन्हें पंजाब में बेची दी गई। इस पर एफआइआर भी दर्ज हैं। इन बेटियों को आज तक कोई सुराग नहीं मिला है। रविवार के दिन पंजाब से विभिन्न संगठनों और संस्थाओं के लोग आते हैं और धर्मातरण करवाते हैं। नया विधेयक काफी लचीला है, इसे और दांतों की जरूरत है। कानून इतना सख्ती से लागू होना चाहिए कि धर्मातरण करने या करवाने की किसी की हिम्मत न पड़े।
विधायक आशा कुमारी ने कहा कि वह विधेयक के पक्ष में हैं, लेकिन इसमें कुछ कमियां हैं। नए बिल की जरूरत नहीं थी, 2006 में बने बिल में संशोधन किया जा सकता था। ऐसा लगता है कि इस विधेयक का प्रारूप सही ढंग से तैयार नहीं किया है। टांग तोड़ने से अधिक घृणित कार्य
कांग्रेस विधायक सुखविद्र सिंह सुक्खू ने सवाल उठाया कि टांग तोड़ने वाले को तीन साल की सजा और जबरन धर्म परिवर्तन पर पांच साल की सजा का प्रावधान किया है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिदल ने हस्तक्षेप करते हुए कहा धर्मातरण करवाना टांग तोड़ने से भी अधिक घृणित कार्य है।
..फिर तो लोग धर्मातरण करेंगे
कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी ने कहा धर्मातरण करने वाले लोगों को दूसरा धर्म अच्छा लग रहा है तो उसमें क्या गलत है। हमारे साथ अन्याय करते रहे तो लाखों लोग दूसरे धर्म में चले जाएंगे। हम हिदू हैं, हिदू रहना चाहते हैं। सरकार छूआछूत की बीमारी को खत्म करने के लिए कानून बनाए। पुराने में संशोधन करते तो बिल छोटा हो जाता
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि 2006 में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने धर्मातरण के खिलाफ बिल लाया था। तब हिमाचल प्रदेश धर्मातरण बिल पारित करने वाला पहला राज्य बना था। पुराने बिल में कई खामियां थी। सजा का प्रावधान कम था। उस बिल में आठ सेक्शन ही थे। ऐसे में उसमें संशोधन करते तो वह बिल से बड़े हो जाते। इसलिए नया बिल लाने की जरूरत पड़ी। पुराने बिल में धर्मातरण को लेकर कई चीजें छूट गए थी।