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विस्थापितों से प्लॉट खरीद कर मकान बनाने वालों को राहत

सरकार ने भाखड़ा बांध विस्थापितों को राहत दी है। जुलाई में मंत्रिमंडल की बैठक के बाद अब नियमों में संशोधन कर दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 09:44 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 09:44 PM (IST)
विस्थापितों से प्लॉट खरीद कर
मकान बनाने वालों को राहत
विस्थापितों से प्लॉट खरीद कर मकान बनाने वालों को राहत

राज्य ब्यूरो, शिमला : सरकार ने भाखड़ा बांध विस्थापितों को राहत दी है। जुलाई में मंत्रिमंडल के फैसले के बाद सरकार ने विस्थापितों को राहत प्रदान करने के लिए अब नियमों में संशोधन कर दिया है। ऐसे विस्थापित जिन्होंने दूसरे विस्थापितों से प्लॉट खरीद कर मकान बनाए है, अब उन्हें भी राहत मिलेगी।

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सरकार ने नियमों में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी है। अब बिलासपुर जिला के उपायुक्त विस्थापितों के अतिक्रमण अथवा प्लॉट खरीदने के मामलों को गुण-दोष के आधार पर अलग-अलग सुनवाई कर निपटाएंगे। बिलासपुर में करीब 300 परिवार ऐसे है जो भाखड़ा बांध की खातिर विस्थापित हुए है। इन विस्थापितों ने दूसरे विस्थापितों से जमीन खरीदी थी। इनमें से कई लोगों पर अतिक्रमण के अलावा सार्वजनिक रास्तों को रोकने के मामले है। प्रदेश में पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2015 में मंत्रिमंडल ने बाध विस्थापितों को नए बिलासपुर शहर में आवंटित प्लॉटों का स्वामित्व सतत पट्टा आधार पर 99 वषरें के लिए एक रुपये प्रति वर्गमीटर की टोकन राशि पर हस्तातरित करने का निर्णय लिया था। इस फैसले के बावजूद विस्थापितों की कई अन्य समस्याएं बाकी थीं। पूर्व के नियमों के तहत विस्थापितों के कानूनी वारिस ही पट्टे की भूमि के हकदार होंगे। बिलासपुर में करीब 200 विस्थापित ऐसे है जिन्होंने दूसरे विस्थापितों से भूमि खरीदी है मगर इन्हे इस भूमि का अधिकार नहीं मिल रहा था। जयराम सरकार ने जुलाई में भाखड़ा बाध विस्थापितों को राहत प्रदान करने का निर्णय लिया। इसके तहत नीति में आवश्यक संशोधन को स्वीकृति दी गई। सोमवार को राजस्व विभाग ने संशोधित नियमों को अधिसूचित कर दिया है। अब न सिर्फ विस्थापितों के कानूनी वारिसों बल्कि भूमि खरीदने वालों को भी विस्थापितों के लिए बनाई गई नीति के तहत ही फायदा दिया जाएगा। इस मकसद से नियम 5.2 को समाप्त कर दिया गया है। विस्थापितों पर चल रहे अतिक्रमण के मामलों में भी कई शब्दों को हटाकर अतिक्रमण को उसी सूरत में माना जाएगा अगर सार्वजनिक रास्तों अथवा संपत्ति पर कोई बड़ी बाधा हो। तमाम मामलों का निपटारा करने के लिए जिला उपायुक्त बिलासपुर को अधिकृत किया गया है। वसुंधरा नहीं आई, पौंग बांध

विस्थापितों का मामला लटका

राज्य ब्यूरो, शिमला : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जयपुर पहुंचे मगर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया बैठक में नहीं पहुंचीं। पौंग बांध विस्थापितों की समस्या का समाधान करने के लिए बैठक बुलाई गई थी। राजस्थान की मुख्यमंत्री के बैठक में न पहुंचने के कारण पौंग बांध विस्थापतों का मामला लटक गया है।

राजस्थान के मुख्य सचिव व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अतिरिक्त मुख्य सचिव के बीच आधिकारिक बैठक हुई। छह दशक से अपनी धरती से उजड़े लोग आज भी बसने का इंतजार कर रहे हैं। पौंग बांध बनने से कांगड़ा जिला के इस क्षेत्र से 20,722 परिवार विस्थापित हुए थे। यहां पर लोग बेघर हुए मगर राजस्थान के श्रीगंगानगर व बीकानेर जिलों की धरती फसलों से लहलहाने लगी। इन दो जिलों में इंदिरा गांधी नहर से पानी पहुंचने लगा। अकेले श्रीगंगानगर जिला में पौंग विस्थापितों को प्रति परिवार 25 बीघा जमीन मिलनी थी। इस जिला में 2.20 लाख एकड़ जमीन चिह्नित भी की गई थी। नहर के साथ-साथ विस्थापितों को बसाया जाना था। - कुल विस्थापित 20,722

- योग्य पाए गए 16,352

- अलाटमेंट हुई 9111

- अलाटमेंट निरस्त 1118


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