बागवानी विकास परियोजना में अब बाड़बंदी भी
हिमाचल प्रदेश के खेतों को जंगली जानवारों और बंदरों से सुरक्षा अब विदेशी धन से मिलेगी। पहली बार प्रदेश सरकार ने इस तरह की प्रक्रिया को शुरु किया है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश में फलों व फसलों की जंगली जानवरों व बंदरों से सुरक्षा अब विदेशी धन से होगी। प्रदेश सरकार ने पहली बार इस तरह की प्रक्रिया शुरू की है। बंदरों व जंगली जानवरों से फलों व फसलों को बचाने के लिए एशियन विकास बैंक की मदद से चल रही बागवानी विकास परियोजना में पहली बार खेतों की बाड़बंदी का प्रावधान किया गया है।
जंगली जानवरों व बंदरों से फसलों व फलों को बचाने के लिए सरकार धन देगी। इससे किसान अपने खेतों किनारे कांटेदार तार लगाकर बेसहारा व जंगली जानवरों सहित बंदरों से फसलों की सुरक्षा कर सकेंगे। हिमाचल में मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही है। बागवानी परियोजना में बाड़बंदी को शामिल करने से अब इस पर अनुदान भी दिया जा सकेगा और राशि भी बढ़ गई है। इसे बागवानी विभाग ने परियोजना में शामिल करवा दिया है।
प्रदेश में 1688 करोड़ रुपये की हिमाचल प्रदेश उपोष्ण कटिबंधीय बागवानी, सिचाई और मूल्य संवर्द्धन परियोजना एचपी शिवा को संचालित किया जा रहा है। इसमें बागवानी विकास के साथ बाड़बंदी को शामिल किया गया है। प्रदेश में करीब 9.60 लाख किसान परिवार हैं। जंगली जानवरों व बंदरों के बढ़ते आतंक के कारण लगातार खेतीबाड़ी के क्षेत्र में कमी आ रही है। ऐसे में प्रदेश में बागवानी के विकास के लिए परियोजना में बाड़बंदी को शामिल करवाया गया है। इसके साथ ही सिचाई व्यवस्था भी इस परियोजना में है। बेसहारा पशुओं, जंगली जानवरों व बंदरों से फसल को बचाने के लिए शुरू की गई खेत संरक्षण योजना के अंतर्गत कांटेदार तार व चैनल लिंक बाड़बंदी के लिए 50 फीसद उपदान और 70 फीसद उपदान कंपोजिट बाड़बंदी के लिए किया गया है।
राजधानी शिमला के अलावा प्रदेश की 75 तहसीलों और 34 उपतहसीलों में बंदरों को वर्मिन श्रेणी में शामिल किया गया है। इन क्षेत्रों में बंदरों के आतंक के कारण इन्हें मारने की अनुमति है लेकिन इन्हें कोई नहीं मार रहा है। प्रदेश में हजारों बेसहारा पशु हैं। जंगली जानवरों की संख्या भी कम नहीं है।