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जांच केंद्रों तक बलगम के सैंपल पहुंचाएगा डाक विभाग

प्रदेश में अब क्षय रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए बलगम के सैंपल डाक

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Dec 2020 08:10 PM (IST)Updated: Sun, 20 Dec 2020 08:10 PM (IST)
जांच केंद्रों तक बलगम के सैंपल पहुंचाएगा डाक विभाग

राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश में अब क्षय रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए बलगम के सैंपल डाक विभाग स्वास्थ्य विभाग के जांच केंद्रों तक पहुंचाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग और डाक विभाग ने समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। स्वास्थ्य कार्यकत्र्ताओं की ओर से विभिन्न स्थानों से बलगम की जांच के लिए एकत्र किए जाने वाले सैंपल को डाक विभाग अपने डाकघर व उपडाकघरों के माध्यम से सीवी नेट केंद्र व अन्य जांच केंद्रों तक पहुंचाएगा।

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समझौता ज्ञापन पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से राज्य क्षय रोग अधिकारी डा. गोपाल बैरी ने हस्ताक्षर किए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ की ओर से इस संबंध में जारी दिशा निर्देशानुसार सैंपल एकत्र करने के बाद पैक किया जाएगा और उन्हें सील करने के बाद डाकघरों तक पहुंचाया जाएगा। उसके बाद फिर डाक विभाग सैंपल को जांच केंद्रों तक पहुंचाएगा। इससे पहले स्वास्थ्य कार्यकत्र्ताओं को सैंपल एकत्रित करने के बाद जांच केंद्र तक पहुंचाना पड़ता था, जिसमें अधिक समय लगता था। प्रदेश में 25 सीवी नेट मशीनें लगाई गई हैं, जहां पर इन सैंपल की जांच की जाती है।

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क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम में हिमाचल अव्वल

हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम में लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। प्रदेश को क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी जनवरी से जून तक के आंकड़ों में हिमाचल को देशभर में प्रथम आंका गया है। प्रदेश में क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के संबंध में जिलास्तर पर हमीरपुर को प्रथम आंका गया है। प्रदेश ने कोरोना महामारी और लॉकडाउन के समय में भी इस कार्यक्रम के अंतर्गत उच्च मानकों को बनाए रखा है।

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क्षय रोग की जांच के लिए सैंपल पहुंचाने का कार्य डाक विभाग करेगा। प्रदेश में क्षय रोग की चेन को तोड़ने के लिए क्षय रोग उपचार नेटवर्क बढ़ाया गया है। छह माह में आयुर्वेदिक अस्पतालों में 10 चिह्नित माइक्रोस्कोपिंग सेंटर (डीएमसी) और विभिन्न जेलों में चार डीएमसी शुरू किए हैं, जबकि प्रदेश में 218 डीएमसी पहले से ही कार्य कर रहे हैं।

-डा. निपुण जिंदल, निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन।


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