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अब पुलिस नहीं करेगी कोटखाई दुष्कर्म व हत्या मामले की जांच

कोटखाई के बहुचर्चित दुष्कर्म एवं हत्या मामले की जांच अब पुलिस नहीं करेगी। हिमाचल पुलिस ने इससे इंकार कर दिया है। इस संबंध में राज्य पुलिस प्रमुख ने गृह विभाग को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि इस केस की जांच सीबीआइ के पास है इस कारण उसी के साथ मामला उठाया जाए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 10:08 PM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 10:08 PM (IST)
अब पुलिस नहीं करेगी कोटखाई दुष्कर्म व हत्या मामले की जांच

राज्य ब्यूरो, शिमला : जिला शिमला के कोटखाई में दसवीं की छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या मामले की जांच अब पुलिस नहीं करेगी। हिमाचल पुलिस ने इससे इंकार कर दिया है। इस संबंध में राज्य पुलिस प्रमुख ने गृह विभाग को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि इस केस की जांच सीबीआइ के पास है। इस कारण सीबीआइ के पास मामला उठाया जाए।

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हिमाचल सरकार को इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्र आया था। इसमें सरकार को उचित कारवाई करने के निर्देश दिए गए थे। ये निर्देश मदद सेवा ट्रस्ट की शिकायत पर आए थे। ट्रस्ट ने सीबीआइ जांच पर सवाल उठाए थे। इसे लेकर केंद्र सरकार ने सीबीआइ को भी अलग से निर्देश जारी किए थे। अब जिस संस्थान की कार्यप्रणाली पर संस्था को भरोसा नहीं है, वही शिकायत को देखेगी। जुलाई 2017 के पहले सप्ताह में कोटखाई के बानकूफर क्षेत्र में स्कूली छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या हो गई थी। पुलिस ने कई आरोपितों को गिरफ्तार किया था। इनमें से एक आरोपित सूरज की कोटखाई थाने में पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। इसका इल्जाम पहले पुलिस द्वारा पकड़े गए मुख्य आरोपित राजू के सिर मढ़ा गया। बाद में आक्रोशित भीड़ ने थाना फूंक दिया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने दोनों मामलों की जांच सीबीआइ को सौंपी थी। जांच एजेंसी ने सूरज हत्या मामले में तत्कालीन आइजी जेड एच जैदी, ठियोग के डीएसपी मनोज जोशी, कोटखाई के एसएचओ राजिद्र सिंह समेत आठ पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार किया था। बाद में शिमला के पूर्व एसपी डीडब्ल्यू नेगी को भी गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने जिन आरोपितों को पकड़ा था, वे सभी जांच में आरोपमुक्त हो गए थे। सीबीआइ ने छात्रा की हत्या मामले में आरोपित अनिल उर्फ नीलू को गिरफ्तार किया था। वह चिरानी का काम करता था। लेकिन मदद सेवा ट्रस्ट को शक है कि छात्रा के साथ जघन्य वारदात को अकेला नीलू ही अंजाम नहीं दे सकता था। पहले पुलिस के खिलाफ भी शिमला में आंदोलन किया गया था। इस संस्था की अध्यक्ष तनुजा थापटा ने कहा कि उन्होंने पूरे मामले की प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायत की। लेकिन केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक सबने अधूरे पहलुओं की जांच करवाने से हाथ खड़े कर दिए हैं। ऐसे में पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिल पाया है।


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