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मरीजों पर भारी कलम छोड़ हड़ताल

राजधानी शिमला के क्षेत्रीय अस्पताल रिपन में पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशों के विरोध में डाक्टरों ने प्रदर्शन किया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 28 Jun 2021 06:38 PM (IST)Updated: Mon, 28 Jun 2021 06:38 PM (IST)
मरीजों पर भारी कलम छोड़ हड़ताल
मरीजों पर भारी कलम छोड़ हड़ताल

जागरण संवाददाता, शिमला : राजधानी शिमला के क्षेत्रीय अस्पताल रिपन में पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशों के विरोध के लिए की गई डाक्टरों की कलम छोड़ हड़ताल मरीजों पर भारी रही। सोमवार सुबह 9.30 बजे से लेकर 11.30 बजे तक ओपीडी खाली रही। मरीज ओपीडी के बाहर दो घंटे तक डाक्टरों का इंतजार करते रहे।

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डाक्टरों की कलम छोड़ हड़ताल का पता न होने के कारण लोग पर्ची काउंटर से पर्ची बनाकर ओपीडी के पास पहुंचे। वहां सुरक्षा कर्मियों ने हड़ताल के संबंध में मरीजों को बताया। अस्पताल में बैठने के लिए लगे बैंचों पर मरीज डाक्टरों का इंतजार करते दिखे। ऐसे में मरीजों का मर्ज दोगुना हो रहा था। वहीं, डाक्टरों ने अस्पताल के मुख्य गेट पर हाथ में विरोध के पोस्टर लिए मूक प्रदर्शन किया। प्रदेश मेडकिल आफिसर एसोसिएशन के महासचिव डॉक्टर पुष्पेंद्र वर्मा ने कहा कि पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशें अनुचित हैं। इसमें डाक्टरों के नान प्रेक्टिस अलाउंस (एनपीए) को 25 से 20 फीसद तक कम करने और उसे बेसिक वेतन से अलग करने की बात की जा रही है। पंजाब चिकित्सक संघ ने 25 जून से इस फैसले का विरोध जताना शुरू किया है। हिमाचल में भी पंजाब वेतन आयोग लागू किया जाता है तो प्रदेश के डाक्टरों पर इसका असर पड़ सकता है। 35 फीसद तक हो एनपीए

डाक्टरों का कहना है कि कोरोना काल में डाक्टरों सहित अन्य मेडिकल स्टाफ ने जान हथेली पर रखकर मरीजों की देखभाल की है। इसका श्रेय डाक्टरों को देने के बजाए सरकार को दिया जाता है। वहीं, महामारी के समय डाक्टरों के खिलाफ की जाने वाली सिफारिशें डाक्टरों के मनोबल को गिराने वाली हैं। संघ ने मांग की है कि जैसे पंजाब चिकित्सक संघ ने एनपीए को 25 से 35 फीसद तक करने की मांग की है, उसे स्वीकार किया जाए। संघ ने कहा कि इस हड़ताल में आपाताकालीन व कोविड मरीजों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं बाधित नहीं होंगी।


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