एक शिक्षक के सहारे रोहल स्कूल
रोहडू उपमंडल के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी शिक्षण संस्थानों
जितेंद्र मेहता, रोहडू
रोहडू उपमंडल के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी शिक्षण संस्थानों में कुछ भवनों की कमी झेल रहे, तो कुछ में सरकार की स्थानांतरण नीति के चलते शिक्षकों के पद खाली चल रहे हैं। ऐसा ही मामला रोहडू के ग्रामीण क्षेत्र में चल रहा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला रोहल का है, जिसे स्थानीय लोगों की मांग व लंबे संघर्ष के बाद वर्ष 2017 में खोला गया था।
भौगोलिक विषमताओं के लिहाज से यहां के भविष्य के लिए सरकार की बड़ी सौगात व यहां पढ़ाई कर रहे बच्चों के अभिभावकों के लिए बड़ी राहत की बात है, लेकिन आज यह स्कूल शिक्षकों की कमी के चलते यहां पर कला संकाय की पढ़ाई कर रहे 28 बच्चों को सभी विषयों की शिक्षा देने में असमर्थ हो गया है।
आलम यह है कि इस स्कूल में स्वीकृत हिदी, अंग्रेजी, इतिहास, राजनीति शास्त्र व आइपी विषयों के अध्यापकों में से केवल एक पद ही भरा है, जबकि शेष चार खाली हैं। स्कूल प्रधानाचार्य का पद भी खाली चल रहा है। स्कूल प्रबंधन के अनुसार इसी स्कूल में छठी से दसवीं कक्षा तक 42 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जिनके लिए स्वीकृत 12 पदों में से आठ पर ही शिक्षक तैनात हैं। इनमें शास्त्री, पीईटी, लैब अटेंडेंट व लिपिक के पद खाली चल रहे हैं। इस स्कूल में शारीरिक शिक्षा शिक्षक का पद 11 साल से खाली चल रहा है। इससे यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चे खेलकूद गतिविधियों में बुरी तरह पिछड़ रहे हैं। स्कूल से शिक्षकों के लगातार हो रहे स्थानांतरण व नियुक्तियां न होने से स्कूल में जमा एक व जमा दो के विद्यार्थियों की पढ़ाई जारी रखना मुश्किल होता जा रहा है। इस बारे में विभाग को पत्राचार किया गया है। शिक्षकों के खाली चल पदों को भरने की मांग की गई है।
-हंसराज, कार्यवाहक प्रधानाचार्य, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला रोहल शिक्षकों की कमी के चलते ग्रामीण परिवेश के इस स्कूल में पढ़ाई कर रहे बच्चों का भविष्य संकट में है। सरकार व विभाग से मांग है कि यहां पर स्वीकृत विषयों के शिक्षकों के पदों को भरा जाए, ताकि बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ न हो।
-सतीश कुमार, अध्यक्ष, स्कूल प्रबंधन समिति