कागजों में खुला शौचमुक्त, हकीकत कुछ और
देवभूमि को को खुला शौचमुक्त घोषित कर दिया गया है लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
यादवेन्द्र शर्मा, शिमला
देवभूमि हिमाचल को 28 अक्टूबर 2016 को बाह्य शौचमुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया गया है, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। कागजों में तो पूरा प्रदेश बाह्य शौचमुक्त है लेकिन कई जगह आज भी लोग खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं। शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण इलाकों में लोग खुले में शौच जाकर सरकार के दावों पर प्रश्नचिह्न खड़े कर रहे हैं। दूसरे राज्यों के मजदूर झुग्गी-झोपड़ियों में रहते हैं, लेकिन उनके लिए शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं होती है। यह हालत शहरी क्षेत्रों के साथ गांवों का भी है। यही नहीं कई जगह पर सार्वजनिक शौचालय तक नहीं हैं। कुछ गांवों में तो जो शौचालय बनाए गए हैं उनका उपयोग घास सहित अन्य घरेलू सामान रखने के लिए किया जा रहा है।
सार्वजनिक शौचालय बनाने का लक्ष्य अधूरा
प्रदेश में 2012-13 में व्यक्तिगत शौचालयों की स्थिति पर सर्वे हुआ। इसमें 2,02,541 व्यक्तिगत शौचालय का लक्ष्य मिला और इसे अक्टूबर 2016 में हासिल कर लिया। फिर प्रदेश को बाह्य शौचमुक्त घोषित करने के बाद कोई सर्वे नहीं हुआ। 2015 में ग्रामीण क्षेत्रों में दो लाख रुपये प्रति सार्वजनिक शौचालय बनाने के हिसाब से 1842 सार्वजनिक शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा गया। चार वर्ष बीत चुके हैं लेकिन अभी भी 428 शौचालय बनने शेष हैं। ऐसे में कई जगहों पर लोग खुले में शौच के लिए मजबूर होते हैं। पैसे बचाने के लिए भी नहीं जाते सार्वजनिक शौचालय में
दूसरे राज्यों के कामगारों के साथ स्थानीय लोग भी पैसे बचाने के चक्कर में सार्वजनिक शौचालयों का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इस कारण भी सरकार के खुला शौचमुक्त के दावे हवा हो रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि दिहाड़ी लगाकर अपना और परिवार का पेट पालने वाले मजूदर का परिवार पैसे देकर हर दिन सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल कैसे कर पाएगा।
ओडीएफ के दौरान बनाए शौचालय
जिला,व्यक्तिगत शौचालय,सार्वजनिक शौचालय
बिलासपुर,14662,154
चंबा,20951,86
हमीरपुर,6523,28
कांगड़ा,47077,89
किन्नौर,2327,74
कुल्लू,17171,138
लाहुल स्पीति,44,02
मंडी,15491,198
शिमला,18508,106
सिरमौर,21879,206
सोलन,17149,305
ऊना,20759,28
कुल,202541,1842 ----------
प्रदेश के 54 शहरी निकायों में 6812 व्यक्तिगत शौचालय बनाए जा रहे हैं। इसमें से 5656 बना लिए गए हैं। सार्वजनिक शौचालय 1000 के करीब बनने हैं। शहरी क्षेत्र में 12 हजार रुपये व्यक्तिगत शौचालय के निर्माण के लिए दिए जा रहे हैं।
-राम कुमार गौतम, निदेशक शहरी विकास विभाग
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प्रदेश को खुला शौचमुक्त घोषित किया गया है। जहां पर नए मकान बनाए जा रहे हैं वहां पर शौचालय बनवाए जा रहे हैं। सार्वजनिक शौचालयों के लिए भी पैसा दिया गया है और इन्हें बनाया जा रहा है।
-वीरेंद्र कंवर, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री।