टेस्ट की सुविधा नहीं, कैसे दूर हो मर्ज
प्रदेश में विभिन्न बीमारियों के निशुल्क उपचार की सुविधा तो देने का लेकर करोड़ों रुपये की योजनाएं तो तैयार कर दी लेकिन आज भी ऐसी बीमारियों है जिनके टेस्ट करवाने के लिए लोगों को प्रदेश से बाहर जाना पड़ रहा है।
रविद्र शर्मा, शिमला
हिमाचल में कई बीमारियों के निशुल्क उपचार के लिए कई योजनाएं तैयार की गई हैं। लेकिन कई ऐसी बीमारियां हैं जिनके टेस्ट करवाने के लिए भी लोगों को प्रदेश से बाहर जाना पड़ रहा है। सरकार हीमोफीलिया बीमारी से पीड़ित मरीजों के उपचार के दावे कर रही है। असलियत यह है कि प्रदेश में इस बीमारी के प्रारंभिक टेस्ट की सुविधा ही नहीं है।
हीमोफीलिया की जांच के लिए जेनेटिक टेस्ट लैब होनी चाहिए। यह लैब प्रदेश के किसी भी सरकारी व निजी अस्पताल में नहीं है। ऐसे में हीमोफीलिया पीड़ित मरीजों का इलाज समय पर नहीं हो पा रहा है। प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के दावे हर बार चुनाव में किए जाते हैं। दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा व कांग्रेस स्वास्थ्य सेवाओं को मुद्दा बनाते हैं। लेकिन आज भी कई ऐसी गंभीर बीमारियां हैं जिनसे पीड़ित लोगों का इलाज प्रदेश में नहीं हो रहा है। प्रदेश सरकार की सहारा योजना के तहत हीमोफीलिया के मरीजों को मुफ्त उपचार का दावा किया जाता है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के पास यह आंकड़ा नहीं है कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में हीमोफीलिया से पीड़ित मरीज कितने हैं। आनुवांशिक बीमारी है हीमोफीलिया
हीमोफीलिया आनुवांशिक बीमारी है। यह बीमारी माता-पिता से बच्चे में भी हो सकती है। इस बीमारी से पीड़ित लोगों में रक्त का थक्का नहीं बनता है। इन मरीजों के रक्त में प्रोटीन की कमी होती है जिसे क्लोटिग फैक्टर भी कहते हैं। रक्तस्त्राव अधिक हो तो जानलेवा हो सकता है।
डॉ. ओमेश भारती, स्टेट एपिडेमियोलॉजिस्ट, स्वास्थ्य विभाग
हीमोफीलिया के लक्षण
-शरीर में नीले निशान बनना
-आंख के अंदर खून निकलना
-नाक से अचानक खून बहना
-जोड़ों में सूजन
-कमजोरी, चलने में तकलीफ
-मस्तिष्क में रक्तस्त्राव होना
-जख्म से खून कुछ देर बंद होने के बाद दोबारा बहने लगना
-मुंह के भीतर कटने या दांत उखड़ने की वजह से रक्त बहना
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हमने हीमोफीलिया के मरीजों के निशुल्क उपचार के लिए सहारा योजना बनाई है। इस बीमारी से पीड़ित मरीजों का आंकड़ा हमारे पास नहीं है। लेकिन इन मरीजों का आंकड़ा जुटाना शुरू कर दिया जाएगा। प्रदेश के अस्पतालों में हीमोफीलिया के मरीजों का उपचार किया जा रहा है।
विपिन परमार, स्वास्थ्य मंत्री
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हिमाचल प्रदेश से हैं। प्रदेश में ही स्वास्थ्य सेवाओं की हालत चरमरा गई है। हीमोफीलिया की जांच की सुविधा प्रदेश में नहीं है। प्रदेश सरकार भी बड़े-बड़े दावे करती है। लेकिन इस गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या सरकार को पता नहीं है।
रजनीश किमटा, महासचिव, प्रदेश कांग्रेस
किसी भी स्वास्थ्य योजना को बनाने से पहले उससे लाभान्वित होने वालों का आंकड़ा होना जरूरी है। बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने की पोल इसी बात से खुल जाती है कि सरकार के पास न तो हीमोफीलिया बीमारी की जांच के लिए टेस्ट की सुविधा है और न ही इससे ग्रस्त मरीजों की संख्या का पता है। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं।
राकेश सिघा, विधायक, माकपा