कहां जांचें मिड डे मील
सरकारी स्कूलों में बच्चों को परोसा जा रहा भोजन पौष्टिक है या नहीं इसके बारे में कोई नहीं जानता। यही हाल आंगनबाड़ी केंद्रों का है।
रविंद्र शर्मा, शिमला
सरकारी स्कूलों में बच्चों को परोसा जा रहा भोजन पौष्टिक है या नहीं इसके बारे में कोई नहीं जानता। यही हाल आंगनबाड़ी केंद्रों का है। सरकारी स्कूलों में मिड डे मील योजना व आंगनबाड़ी केंद्रों का उद्देश्य यही था कि जिन बच्चों को घर में पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता उन्हें यहां दिया जाए। अब यह कितना पौष्टिक होता है इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। हिमाचल में पका हुआ भोजन जांचने की व्यवस्था ही नहीं है।
प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने नौणी विश्वविद्यालय, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर व कंडाघाट स्थित सेंट्रल टेस्टिंग लैब को पत्र लिखकर स्कूल में बन रहे भोजन की जाच करवाने के लिए कहा था, लेकिन सभी ने यह कहकर मनाकर दिया उनकी लैब में पके हुए भोजन की जाच के लिए व्यवस्था नहीं है। कंडाघाट लैब में कच्चा आनाज या मसाले जाचने की सुविधा है। अब यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि स्कूलों में बच्चों को भोजन परोसा जा रहा है वह मिड डे मील पौष्टिक है या नहीं इसकी जाच कैसे की जाए। प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने सभी प्रयोगशालाओं से जवाब आने के बाद पके हुए भोजन की जाच के लिए प्रदेश में लैब खोलने का प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जिसे जल्द प्रदेश सरकार के पास भेजा जाएगा।
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15,446 स्कूलों में परोसा जा रहा मिड डे मील
प्रदेश के 15,466 स्कूलों में मिड डे मील योजना चल रही है। इसके तहत 3,58,000 से अधिक बच्चों को स्कूलों में दोपहर का खाना खिलाया जा रहा है।
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मोहाली में करवाई दो बार जांच
प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने हिमाचल के पंजाब की सीमा के साथ लगते स्कूलों में मिड डे मील की जांच मोहाली स्थित लैब में करवाई थी। वह भी पिछले साल व उससे एक साल पहले। रिपोर्ट में भोजन की गुणवत्ता सही बताई गई थी।
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अभी केवल निरीक्षण की व्यवस्था
प्रांरभिक शिक्षा विभाग ने अब मिड डे मील की गुणवत्ता जांचने के लिए निरीक्षण की व्यवस्था की है। शिक्षा विभाग का अधिकारी औचक निरीक्षण करता है और रसोई घर में साफ-सफाई की जांच करता है, लेकिन भोजन की गुणवत्ता कैसी है इसके लिए वह मिड डे मील को खाकर चेक करता है। इसके अलावा पोषक तत्व है या नहीं इसे जांचने का कोई पैमाना नहीं है।
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एफएसएसएआइ का लाइसेंस भी नहीं लिया
मिड डे मील की रसोई के लिए शिक्षा विभाग ने अभी तक एफएसएसएआइ का लाइसेंस भी नहीं लिया है। भोजन पका कर खिलाने वाले होटल, ढाबे सहित कैंटीन के लिए यह लाइसेंस लेना अनिवार्य है। केंद्र सरकार ने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) का गठन किया। इसे एक अगस्त, 2011 में केंद्र सरकार के खाद्य सुरक्षा और मानक विनिमय (पैकेजिंग एवं लेबलिंग) के तहत अधिसूचित किया। एफएसएसएआइ का काम लोगों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने एवं इसके तय मानक को बनाए रखना है।
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प्रदेश में पके हुए भोजन की जांच के लिए लैब की व्यवस्था को लेकर के लिए केंद्र सरकार के समक्ष मुद्दा उठाएंगे। इस लैब की व्यवस्था के लिए पूरे प्रयास किए जाएंगे।
-सुरेश भारद्वाज, शिक्षा मंत्री।