बगीचों से ही सेब बिकवाएगा मोबाइल फोन
कोरोना काल में पहाड़ी सब्जियों के दामों के औंधे मुंह गिरने के बाद चार हजार करोड़ की सेब की आर्थिकी को ऑनलाइन ट्रेडिग बचाएगी।
यादवेन्द्र शर्मा, शिमला
कोरोना काल में पहाड़ी सब्जियों के दाम औंधे मुंह गिरने के बाद चार हजार करोड़ की सेब की आर्थिकी को ऑनलाइन ट्रेडिंग बचाएगी। ऑनलाइन ट्रेडिग में पहली बार मोबाइल फोन क्रांति कारगर योगदान निभाएगी। दूसरे राज्यों के व्यापारी प्रदेश में आए बिना ही मोबाइल फोन से बगीचों से ही सेब को खरीद सकेंगे। कृषि मार्केटिंग बोर्ड प्रदेश में पहली बार ऑनलाइन ट्रेडिंग के प्रयास कर रहा है। इस तरह की व्यवस्था उन बागवानों के लिए की जाएगी जो दूसरे राज्यों के व्यापारियों को सेब घर बैठे बेचना चाह रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 31 मई के बाद भी कर्फ्यू के जारी रहने की प्रबल संभावना है। कर्फ्यू के लंबा चलने के कारण बागवानों को सेब के बेहतर दाम मिलें, इसके लिए अभी से काम शुरू कर दिया है। कोरोना काल में अन्य राज्यों के व्यापारियों के बहुत कम आने की संभावना है। इसका सीधा असर सेब की खरीद पर पड़ेगा। उत्तर प्रदेश, चेन्नई, दिल्ली, राजस्थान, बेंगलुरु, महाराष्ट्र के व्यापारी हर साल प्रदेश में आकर करोड़ों का सेब खरीदते हैं। इस बार स्थितियां विकट हैं और आने वाले समय में क्या होता है इसी को देखते हुए ऑनलाइन ट्रेडिग की व्यवस्था की जा रही है।
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आखिर कैसे होगा ऑनलाइन व्यापार
दूर की मंडियों तक समय पर सेब पहुंचाना जरूरी है। मार्केट में आ चुके सेब का पता दूर से लगाना असंभव है। इसका कारण उसकी ट्रांसपोर्टेशन के दौरान गुणवत्ता में आने वाला प्रभाव है। ऑनलाइन ट्रेडिंग में सीधे बगीचे से सेब खरीदने की व्यवस्था को किया जा रहा है। इसमें वीडियो कॉल के माध्यम से व्यापारी सेब की गुणवत्ता को जांच सकेंगे और मोबाइल फोन पर ही सेब खरीद को अंतिम रूप दिया जाएगा।
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कर्फ्यू का असर सेब कारोबार पर न हो इसके लिए यह व्यवस्था की जा रही है। अन्य राज्यों के व्यापारियों से संपर्क साधा जा रहा है। जो बागवान घर बैठे सेब को बेचना चाहते हैं उनकी मार्केटिंग बोर्ड मदद करेगा। इससे पूर्व प्रदेश में उत्पादित मटर का भी खेतों से कारोबार किया गया है।
-नरेश ठाकुर, प्रबंध निदेशक कृषि मार्केटिंग बोर्ड।
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यह व्यवस्था तो उचित है, लेकिन पारदर्शिता होना जरूरी है। ऐसा नहीं होना चाहिए कि सेब दे दिया पैसे नहीं मिले या पैसे डाल दिए सेब ही नहीं पहुंचा, या फिर गुणवत्ता ठीक नहीं थी। इसके लिए जरूरी है कि एक-दो व्यापारियों के टेस्ट कर उन्हें आने दिया जाए इससे बेहतर दाम मिलेंगे।
-राजकुमार बिंटा, सेब उत्पादक व पंचायत प्रधान बाघी।