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तीन क्लर्को के सहारे उद्योग विभाग का जियोलॉजिकल विंग

राज्य उद्योग विभाग के जियोलॉजिकल विग स्टॉफ की कमी से जूझ रहा है। उद्योग भवन स्थित मुख्यालय में जियोलॉजिकल विग पांच मिनिस्ट्रियल स्टॉफ के सहारे हिचकोले खा रहा है। एक कर्मचारी जनवरी में सेवानिवृत हो रहा है और एक कर्मी पदोन्नत होकर प्रबंधक बनने जा रहा है। ऐसे में खनन का मुख्य कार्य देखने वाला महकमा मिनिस्ट्रियल स्टॉफ की कमी का शिकार है। पिछले पांच वर्षों से कई बार स्टॉफ की कमी का मामला उद्योग मंत्री तक पहुंचा मगर किसी ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Oct 2019 08:50 PM (IST)Updated: Tue, 08 Oct 2019 06:40 AM (IST)
तीन क्लर्को के सहारे उद्योग विभाग का जियोलॉजिकल विंग

राज्य ब्यूरो, शिमला : राज्य उद्योग विभाग का जियोलॉजिकल विंग स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। उद्योग भवन स्थित मुख्यालय में जियोलॉजिकल विग मिनिस्ट्रियल स्टाफ के पांच कर्मियों के सहारे है जिनमें तीन क्लर्क हैं। ये तीनों क्लर्क विंग को संभाल रहे हैं। विंग के पांच में से एक कर्मचारी जनवरी में सेवानिवृत्त होगा जबकि एक कर्मी पदोन्नत होकर प्रबंधक बनने जा रहा है।

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खनन का मुख्य कार्य देखने वाला विभाग मिनिस्ट्रियल स्टाफ की कमी का शिकार है। पिछले पांच वर्ष में स्टाफ की कमी का मामला उद्योग मंत्री तक कई बार पहुंचा मगर किसी ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। हालत यह है कि वैज्ञानिक तरीके से खनन करने की एवज में विभाग को सालाना 400 करोड़ रुपये की कमाई हो सकती है। इसके बावजूद मिनिस्ट्रियल स्टाफ की कमी मुख्यालय से लेकर जिलास्तर तक है। इसका नतीजा यह है कि जियोलॉजिकल विग क्लर्को की कमी के कारण फाइलों में उलझा हुआ है।

मुख्यालय में खनन से जुड़ी फाइलों का निपटारा करना, लोक निर्माण विभाग को इंजीनियरिग सेवाएं देना, रोड अलाइनमेंट करना, खनिज संपदा नीलाम करना सहित कई तरह के कार्य जियोलॉजिकल विंग के पास होते हैं। छोटी-छोटी बातों को लेकर मामले अदालतों में हैं। ऐसे मामलों की लिखित कार्रवाई करना भी विंग के कार्य में शामिल है। विंग में विभिन्न श्रेणी के 23 पद स्वीकृत हैं। ये पद भरे नहीं जा रहे हैं। जिलों में एक क्लर्क है जिस कारण खनन उप अधिकारी को शासकीय कार्य करना पड़ता है। इससे मुख्य कार्य बाधित हो रहा है। खनन से मिलती है 200 करोड़ रुपये रॉयल्टी

जियोलॉजिकल विग का कार्य राज्य में नदी-नालों से रेत, बजरी व पत्थर वैज्ञानिक विधि से निकालना है। इसके लिए लीज आवंटित करना है। इसके तहत अभी तक 300 लीज दी जा चुकी हैं। वहीं, 166 लीज प्रदान करने का कार्य अंतिम चरण में है। इसी तरह 100 लीज जल्द जारी की जाएंगी। सरकार को खनन से करीब 200 करोड़ रुपये वार्षिक रॉयल्टी मिलती है। यदि जियोलॉजिकल विग को मुख्यालय सहित जिलास्तर पर पर्याप्त स्टाफ दिया जाए तो खनन से प्राप्त होने वाली रॉयल्टी सालाना 400 करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगी। सबको जानकारी, नहीं हुई कार्रवाई

उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर कर्मचारियों की कमी से अवगत हैं। वहीं, अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज कुमार के पास इस मामले से संबंधित फाइल पड़ी है। मुख्य सचिव को भी लिखित जानकारी है। पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी स्टाफ की कमी दूर करने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई थी।


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