क्या रद होगी बाबा रामदेव को दी गई जमीन की लीज
साधुपुल में पतंजलि ने दो करोड़ रुपये से आधारभूत ढाचा तैयार किया जहा औषधियों का उत्पादन प्रस्तावित था।
प्रकाश भारद्वाज, शिमला। योगगुरु बाबा रामदेव सोलन जिले के साधुपुल में जमीन को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। एक के बाद एक तीसरा व अंतिम रिमाइंडर बाबा रामदेव के सहयोगी एवं आयुर्वेद केंद्र पतंजलि योगपीठ के अध्यक्ष आचार्य बालकृष्ण को भेजा जा चुका है। इसके बावजूद पतंजलि ट्रस्ट की ओर से लीज मनी देने के संबंध में कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की गई है। इसका कारण यह है कि सरकार ने नए लीज नियमों के तहत 1.19 करोड़ रुपये जमा करवाने को कहा है।
पिछले चार महीने के दौरान सरकार की ओर से भेजे गए पत्र का कोई जवाब नहीं आ रहा है। तीसरा रिमाइंडर दिए हुए भी तीन दिन हो गए हैं। इसमें 15 दिन का समय जवाब देने के लिए दिया गया है। यदि इस रिमाइंडर का जवाब नहीं आया तो मामला एक बार फिर सरकार के पास विचार के लिए जाएगा। सवाल यह है कि क्या सरकार नियमों के मुताबिक बाबा रामदेव के पतंजलि ट्रस्ट को दी गई जमीन की लीज रद करेगी? वर्ष 2018 में सत्ता में आते ही भाजपा ने बाबा रामदेव से आग्रह किया था कि पतंजलि ट्रस्ट न्यायालय से मामला वापस ले तो सरकार जमीन देने को तैयार है। पतंजलि ने न्यायालय से मामला वापस ले लिया था। इस पर सरकार ने इन्हें लीज आवंटित कर दी थी मगर पतंजलि ट्रस्ट ने लीज मनी जमा नहीं करवाई।
93 बीघा जमीन के लिए चुकाने थे 18 लाख रुपये वर्ष 2011 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने बाबा रामदेव को हिमाचल में योग विश्वविद्यालय खोलने का न्योता दिया था। इसके तहत साधुपुल में योगशाला खोली गई और विस्तृत योगपीठ की रूपरेखा तैयार होने लगी। इस बीच वर्ष 2012 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने यह कहते हुए लीज रद कर दी कि सरकारी जमीन का मूल्य कम आंका गया है। इसके बाद संशोधित नियमों के अधीन 11 करोड़ रुपये चुकाने पड़ेंगे। इसके हर पांच साल के बाद पांच प्रतिशत वृद्धि के साथ भुगतान करना पड़ेगा। सर्वप्रथम 93 बीघा जमीन के लिए 18 लाख रुपये चुकाने थे। लीज रद होने पर पतंजलि योगपीठ ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। साधुपुल में पतंजलि ने दो करोड़ रुपये से आधारभूत ढाचा तैयार किया जहा औषधियों का उत्पादन प्रस्तावित था। इसके अतिरिक्त योगशाला भी स्थापित होनी थी।
2010 में आवंटित हुई थी जमीन पतंजलि योगपीठ को भाजपा सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2010 में जमीन आवंटित हुई थी। इसके तहत करीब 21 एकड़ जमीन लीज पर आवंटित की गई जिस पर फल विधायन संयंत्र, आयुर्वेद दवाएं बनाने व क्षेत्र में हर्बल गार्डन विकसित करने की योजना थी। यह जमीन 99 साल के लिए 18 लाख रुपये में लीज पर दी गई थी। पतंजलि योगपीठ की तरफ से आचार्य बालकृष्ण ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। सरकार वापस ले सकती है जमीन हम हैरान हैं कि पतंजलि ट्रस्ट की ओर से साधुपुल जमीन मामले में किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं दी जा रही है।
करार के तहत 1.19 करोड़ रुपये लीज मनी जमा करवानी होगी। यदि बार-बार रिमाइंडर के बावजूद जवाब नहीं आया तो आगे की कार्रवाई के लिए सरकार को लिखेंगे। यह नियम है कि यदि कोई दिलचस्पी न दिखाए तो जमीन सरकार वापस भी ले सकती है।
-विनोद कुमार, उपायुक्त, सोलन