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आइजीएमसी शिमला ने रचा इतिहास, मां ने बेटे तो पिता ने बेटी को दी जिंदगी

आइजीएमसी शिमला में किडनी ट्रांसप्लांट के पहले ऑपरेशनों के दौरान मंडी में एक मां ने अपने बेटे को किडनी देकर और पिता ने अपनी बेटी को किडनी देकर उसकी जिंदगी बचाई।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 08:35 AM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 08:59 AM (IST)
आइजीएमसी शिमला ने रचा इतिहास, मां ने बेटे तो पिता ने बेटी को दी जिंदगी
आइजीएमसी शिमला ने रचा इतिहास, मां ने बेटे तो पिता ने बेटी को दी जिंदगी

शिमला, जेएनएन। माता-पिता बच्चों की जान बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहते हैं। यहां तक कि वे उनके लिए अपने अंग भी दे सकते हैं। प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आइजीएमसी) एवं अस्पताल शिमला में किडनी ट्रांसप्लांट के पहले ऑपरेशनों के दौरान मंडी से 55 वर्षीय महिला ने 31 वर्षीय बेटे को किडनी देकर यह बात साबित की। रोहड़ू के 64 वर्षीय पिता ने 41 साल की बेटी को किडनी देकर उसकी जिंदगी बचाई।

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दोनों अभिभावकों ने बच्चों के साथ उनके परिवार को भी नर्ई जिंदगी दी है। कई साल के इंतजार के बाद आइजीएमसी ने सोमवार को इतिहास रचा। अस्पताल में पहली बार दो किडनी ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हुए। सोमवार सुबह से ही अस्पताल प्रशासन दोनों किडनी ट्रांसप्लांट को सफल बनाने में लगा रहा। सुबह साढ़े सात बजे ही एम्स के डॉक्टरों की टीम के साथ आइजीएमसी स्टाफ भी अस्पताल में पहुंच गया था। रोहड़ू व मंडी के दो मरीजों को नई किडनियां ट्रांसप्लांट की गईं। एम्स दिल्ली से आए विशेषज्ञ डॉ. वीके बंसल के नेतृत्व में ऑपरेशन किए गए। फिलहाल दोनों मरीज व दोनों किडनी दाता की हालत ठीक है। उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है।  

 साढ़े सात बजे शुरू हुई तैयारी

आइजीएमसी में पहले किडनी ट्रांसप्लांट की तैयारी सुबह साढ़े सात बजे शुरू हो गई। दोनों मरीजों को ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया। नौ बजे तक ऑपरेशन की तैयारी चलती रही। इसके बाद शुरू हुआ पहला ऑपरेशन 12 बजे तक चला। डॉक्टरों ने पहला किडनी ट्रांसप्लांट सफल होने के बाद दूसरे ट्रांसप्लांट की तैयारी की चार बजे पूरा हुआ दूसरा किडनी ट्रांसप्लांट दूसरा किडनी ट्रांसप्लांट दोपहर एक बजकर 45 मिनट पर शुरू हुआ। एम्स के साथ हिमाचल के डॉक्टरों की टीम ने करीब चार बजे तक किडनी ट्रांसप्लांट कर दिया। ऑपरेशन के बाद दूसरे मरीज को अभी डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है।

ईएसआइसी से स्वीकृत करवाई थी राशि

मंडी निवासी जिस पहले मरीज में किडनी ट्रांसप्लांट हुई, वह शिमला में प्राइवेट नौकरी करता है। उसने इलाज के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी) से 4.5 लाख रुपये एडवांस स्वीकृत करवा रखे थे। सरकार का दावा है कि दोनों किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बजट मुहैया करवा दिया था।

हिमकेयर व आयुष्मान कार्ड है तो किडनी ट्रांसप्लांट के नहीं लगेंगे पैसे

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने किडनी ट्रांसप्लांट सफल होने पर आइजीएमसी प्रशासन को बधाई दी व एम्स से आई डॉक्टरों, नर्सों व पैरामेडिकल टीम का  धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि हिमकेयर व आयुष्मान कार्ड धारकों को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पैसा खर्च नहीं  करना पड़ेगा। ट्रांसप्लांट व दवाओं का साढ़े तीन लाख रुपये तक खर्च कार्ड से मुफ्त होगा। बजट सत्र में किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने का वादा पूरा हो गया है। उन्होंने जिन मरीजों में किडनी ट्रांसप्लांट की गई, उनके जल्द ठीक होने की आशा जताई। उन्होंने कहा कि प्रदेशभर में इस बीमारी से जूझ रहे मरीजों को सुविधा देने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। 

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