Move to Jagran APP

किडनी देकर बचा लिया सुहाग

विवाह के समय पति-पत्नी ये वादा करते हैं कि सुख-दुख से लेकर हर एक स्थिति में एक दूसरे का साथ देंगे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 10:00 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 06:20 AM (IST)
किडनी देकर बचा लिया सुहाग
किडनी देकर बचा लिया सुहाग

रामेश्वरी ठाकुर, शिमला

loksabha election banner

हिंदू धर्म में शादी के समय पति व पत्नी अग्नि को साक्षी मानकर वादा करते हैं कि जीवन के हर सुख-दुख वह एक दूसरे का साथ देंगे। इसी वादे को निभाते हुए मंजीत की पत्नी ने उन्हें दूसरी जिदगी दी है। सुहाग की रक्षा के लिए पत्नी ने पति को किडनी दे दी। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) में रविवार को दूसरे चरण का किडनी ट्रांसप्लांट सफल रहा। इस बार कांगड़ा के 47 वर्षीय मरीज मंजीत की किडनी ट्रांसप्लांट की गई। उनकी पत्नी डोनर से किडनी निकालने के लिए पहला ऑपरेशन सुबह 8:30 बजे शुरू हुआ जो साढ़े 11 बजे पूरा हुआ। इसके बाद किडनी को मरीज मंजीत के शरीर में लगाया गया। यह पूरी प्रक्रिया दोपहर करीब एक बजे तक पूरी हुई।

दिल्ली के एम्स से आए विशेषज्ञ डॉ. बंसल की देखरेख में दोनों ऑपरेशन किए गए। फिलहाल मरीज और किडनी देने वाले की हालत खतरे से बाहर है। उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। किडनी ट्रांसप्लांट में आइजीएमसी के एमएस डॉ. जनकराज, यूरोलॉजी विभाग के डॉ. पंपोश राणा, डॉ. संजय विक्रांत, डॉ. अजय सूद, डॉ. राहुल गुप्ता, एम्स से एनस्थिसिया विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश्वरी, डॉ. कृष्णा, डॉ. संजय के अग्रवाल सहित नर्से और पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद रहा। पहले बीस ट्रांसप्लांट में मदद करेगी एम्स की टीम

आइजीएमसी के एमएस डॉ. जनकराज ने बताया कि दूसरे चरण का किडनी ट्रांसप्लांट सफल हुआ है। हिमाचल के किडनी मरीजों के लिए यह बड़ी सुविधा है। उन्होंने एम्स से आए डॉ. बंसल और उनकी टीम का सर्जरी सफल होने पर धन्यवाद किया। उनके अनुसार मरीज और डोनर की बेहतरीन देखभाल की जा रही है।

किडनी लेने वाले मरीज के लिए एहतिहात

किडनी लेने वाले मरीज को रिकवरी तक डॉक्टरों की देखरेख में रखा जाता है। उसे किसी प्रकार का इंफेक्शन न हो, इसका विशेष ध्यान रखना पड़ता है। उनके शरीर में नया अंग होता है और उसे शरीर जब तक पूरी तरह से स्वीकार नहीं करता है तब तक एहतियात जरूरी है। छुट्टी होने के बाद मरीज को डॉक्टरों की ओर से बताई दवाएं और एहतियात रखनी पड़ती है। उन्हें खाने का भी विशेष ध्यान रखना होता है। कुछ माह तक ज्यादा थकान वाले कार्यो से बचना होता है। वहीं किडनी देने वाले व्यक्ति को अपने शरीर के जख्म भरने तक ही एहतियात रखनी होती है। इसके बाद वे सामान्य जीवन जीना शुरू कर सकते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.