टोका मशीनों के आवंटन में गड़बड़ी
पशुपालन विभाग का नया कारनामा सामने आया है। विभाग के मंडी जिले के संधोल में चैफ कट्टर यानी घास का आकार छोटा करने वाले उपकरण के आवंटन में गड़बड़झाला होने का आरोप है। इसे टोका मशीन कहते हैं। इनमें सरकार ने बाकायदा सबसिडी दी। पशु चिकित्सालय संधोल में 23 मशीनें लाभार्थियों को 2013- 14 में बांटी गई। लेकिन आरोप है कि ये लाभार्थियों को दी ही नहीं गई।
रमेश सिंगटा, शिमला
पशुपालन विभाग का नया कारनामा सामने आया है। मंडी जिला के संधोल में चैफ कटर (घास का आकार छोटा करने वाला उपकरण) के आवंटन में गड़बड़झाला होने का आरोप है। चैफ कटर को टोका मशीन भी कहते हैं। इनमें सरकार ने सबसिडी भी दी। पशु चिकित्सालय संधोल में 23 मशीनें लाभार्थियों को वर्ष 2013-14 में बांटी गई। आरोप है कि ये मशीनें लाभार्थियों को दी ही नहीं गई। इसका जाली रिकॉर्ड पांच साल बाद वर्ष 2018 में तैयार किया गया।
विभाग ने आरोपों के घेरे में आए तत्कालीन फार्मासिस्ट पर कार्रवाई करने की बजाय गड़बड़झाला पकड़ने वाले डॉक्टर के खिलाफ ही जांच शुरू कर दी है। तीन इन्क्वायरी बैठाई गई हैं। इससे कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। पशुपालन विभाग के डॉक्टरों की एसोसिएशन ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच करवाने का आग्रह किया। निदेशक उनकी मांग को खारिज कर रहे हैं। आरोप है कि विभाग का एक अधिकारी टोका मशीन आवंटन के गड़बड़झाले में आरोपित पक्ष को बचा रहा है। शिकायतकर्ता डॉक्टर ने इस संबंध में सूचना के अधिकार का भी सहारा लिया है।
जिस फार्मासिस्ट पर शक की अंगुलियां उठ रही हैं, उसने संधोल पशु अस्पताल के डॉक्टर के खिलाफ दो अलग-अलग शिकायतें की हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि साहब ने उन्हें अपने पास बुलाकर मुर्गा बनाया। उन्हें टोका मशीन के संबंध में प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने खुद को बेकसूर बताया है। वहीं, डॉक्टर ने विभाग को भेजे जवाब में कहा है कि मशीनों का पहले अस्पताल में कोई रिकॉर्ड नहीं था। इसका खुलासा तब हुआ जब पिछले वर्ष जुलाई में सरकार ने निदेशालय के माध्यम से जरूरी सूचनाएं मांगीं। उप निदेशक कार्यालय ने बताया कि संधोल को टोका मशीनें आवंटित की गई हैं लेकिन इसका रिकॉर्ड नहीं मिला। पांच मशीनों का जो रिकॉर्ड मिला भी, वह भी सही नहीं था। इसके बाद संबंधित अस्पाल के डॉक्टर ने पूरे मामले की जांच करने और फार्मासिस्ट के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की सिफारिश की। इस पर जांच तो हुई नहीं, आरोप है कि नए सिरे से जाली रिकॉर्ड तैयार किया गया। जिस कर्मी का विभाग 2016 में तबादला कर चुका था, वह दोबारा रिकॉर्ड बनाने संधोल आया। इस रिकॉर्ड को सत्यापित करने से इंकार किया गया तो धर्मपुर अस्पताल भेजा। वहां से इसे सत्यापित करवाया गया जबकि वहां से संबंधित रिकॉर्ड नहीं था।
टोका मशीनें काफी पहले बांटी गई थीं लेकिन इसका रिकॉर्ड मिसप्लेस हो गया था। जाली सूची बनाई गई या नहीं, यह नहीं कह सकते हैं। इसकी जांच धर्मपुर अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर कर रहे हैं। इसके लिए कमेटी गठित की गई हैं। फार्मासिस्ट पर भी आरोप हैं। डॉक्टर के खिलाफ भी दो शिकायतें दी गई हैं। तीन इन्क्वायरी चल रही हैं। टोका मशीनों को लेकर एफआइआर दर्ज नहीं की गई है।
डॉ. विशाल शर्मा, उप निदेशक, पशुपालन विभाग, मंडी