प्राकृतिक होगी बागवानी, आय चार गुणा बढ़ेगी
प्रदेश में किसानों की आय दोगुणा करने जबकि बागवानों की आय को चार गुणा किया जाएगा। इस दिशा में बागवानी विभाग ने प्रयासों को तेज कर दिया है।
प्रदेश में किसानों की आय दोगुणा और बागवानों की आय चार गुणा की जाएगी। इस दिशा में बागवानी विभाग ने प्रयास तेज कर दिए हैं। रसायनिक खेती को धीरे-धीरे समाप्त करने के साथ बागवानी को भी कीटनाशकों के छिड़काव से मुक्ति दिलाई जाएगी। सेब राज्य हिमाचल में वर्तमान में चार हजार करोड़ का सेब कारोबार रसायनिक स्प्रे पर निर्भर है। इन स्प्रे को धीरे-धीरे कम किया जाएगा। बागवानों की आय बढ़ाने के लिए छोटे पौधे लगाए जाएंगे। आखिर बागवानों की आय कैसे चार गुणा होगी और रसायनिक बागवानी को प्राकृतिक बागवानी में कैसे बदला जाएगा, इस संबंध में बागवानी विभाग के निदेशक एमएल धीमान ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश : कृषि विभाग किसानों की आय को दोगुणा करने की बात कर रहा है। बागवानों की आय को कैसे बढ़ाएंगे?
-बागवानों की आय को चार गुणा बढ़ाने की योजना है। वर्तमान में एक हेक्टेयर में 250 से 300 पौधे लगते हैं। क्लोनल रूट स्टाक के तहत 2600 पौधे प्रति हेक्टेयर में लग सकेंगे। इस वर्ष इटली से लाए सेब के पौधों की बिक्री की जा रही है। अभी एक हेक्टेयर में सात मीट्रिक टन सेब पैदा हो रहा है। नई तकनीक से 40 से 50 मीट्रिक टन तक उत्पादन लिया जा सकता है। इटली से लाए पौधे तो पहले ही सवालों के घेरे में रहे हैं?
-एक वर्ष तक वैज्ञानिकों के निरीक्षण में प्रदेश की सरकारी नर्सरियों में इन्हें तैयार किया गया है। इनकी बिक्री से पूर्व कई बार जांच होती है। विशेष कमेटी में रोग और कीट वैज्ञानिकों की टीम जांच कर इन्हें बेचने की अनुमति देती है। कमेटी ने इन्हें स्वस्थ पाया है और अब बागवानों को बेचा जा रहा है। ऐसे पौधे अगले वर्ष के लिए लाखों की संख्या में तैयार किए जाएंगे। एक लाख पौधे कितने बागवानों को बांटेंगे और कैसे मांग पूरी होगी?
-एक ही वर्ष में सभी की मांग पूरी नहीं हो सकेगी। लेकिन इसके लिए सरकारी नर्सरियों में भी ऐसे पौधे तैयार किए जा रहे हैं। बागवानों को भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सेब पौधे पर साल के 12 रसायनिक स्प्रे किए जा रहे हैं। जैविक बागवानी कैसे होगी?
-जैविक बागवानी के लिए बागवानों को जागरूक किया जा रहा है। एक दम से कोई भी स्प्रे को बंद नहीं करेगा। अभी तक साल के 10 से 12 स्प्रे होते हैं, उन्हें धीरे-धीरे कम किया जाएगा। कीटनाशकों पर सब्सिडी फ्रीज है। जो पहले दी जा रही है दाम बढ़ने के साथ कम हो रही है। कुछ तो बंद भी कर दी है। बागवानी का लक्ष्य हर बार हासिल नहीं हो रहा है। क्या कारण है?
-बागवानी के लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है। कुछ साल से फ्लावरिंग के समय वर्षा और ठंड होने से फसल प्रभावित हो रही है। इसका अभी कोई हल नहीं है। बस पेड़-पौधों को ज्यादा तादाद में लगाने और प्रकृति से छेड़छाड़ कम करने की जरूरत है। सेब के अलावा भी अन्य फलों का बागवानी में योगदान है। उसके लिए क्या योजना है?
-प्रदेश के निचले क्षेत्र, जहां पर सेब नहीं होता है, में 1688 करोड़ रुपये की बागवानी परियोजना लागू की जा रहा है। इस संबंध में जल्द एशियन विकास बैंक की टीम हिमाचल का दौरा करेगी। आम, लीची, संतरा किन्नू, माल्टा आदि की बेहतर किस्मों का उत्पादन किया जाएगा। इससे भी किसानों की आय बढे़गी।
यादवेन्द्र शर्मा, शिमला