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साफ्टवेयर रोकेगा डिपो के राशन की कालाबाजारी

यादवेन्द्र शर्मा, शिमला हिमाचल प्रदेश में 71 लाख लोगों को आपूर्ति किए जाने वाले राशन की चोरी रो

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 07:59 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 07:59 PM (IST)
साफ्टवेयर रोकेगा डिपो के राशन की कालाबाजारी
साफ्टवेयर रोकेगा डिपो के राशन की कालाबाजारी

यादवेन्द्र शर्मा, शिमला

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हिमाचल प्रदेश में 71 लाख लोगों को आपूर्ति किए जाने वाले राशन की चोरी रोकने के लिए साफ्टवेयर बनाया गया है। यह साफ्टवेयर न केवल राशन की चोरी रोकेगा बल्कि राशन के डिपो में आते ही लोगों को मोबाइल फोन पर संदेश भी दे देगा। लोगों को गुणवत्तायुक्त और समय पर राशन उपलब्ध करवाने के लिए ई-टेंडर प्रणाली लागू कर दी गई है। दो तरह की टेंडर प्रक्रिया अपनाई जा रही है जिसमें आवश्यकतानुसार शॉर्ट टर्म टेंडर भी किए जा रहे हैं। खाद्य एवं आपूर्ति निगम के प्रबंध निदेशक डॉ. एसएस गुलेरिया ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत के दौरान यह बातें बताई। प्रस्तुत हैं कुछ अंश : खाद्य एवं आपूर्ति निगम लाखों लोगों तक सस्ता राशन किस तरह पहुंचा रहा है? प्रदेश के करीब 71 लाख लोगों तक समय पर और गुणवत्तायुक्त राशन उपलब्ध करवाने के लिए ई-टेंडर प्रणाली लागू की है। बाजार में दालों व अन्य सामान के दाम गिरने पर सीधा लाभ सरकार को मिल रहा है और लोगों को सस्ते दाम पर उपलब्ध करवाया जा रहा है। निगम के करीब 117 गोदाम हैं जिनमें अत्याधुनिक सुविधाएं और सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इससे राशन की चोरी रोका जा सकेगी। ई-टेंडर से आखिर क्या लाभ होगा?

ई-टेंडर के शुरू होने से समय कम लगेगा और पारदर्शिता भी आएगी। कोई भी ठेकेदार बोली लगाने वाले का दाम देख सकेगा, जिसके तहत कोई कम दाम और बढि़या राशन देना चाहेगा तो दे सकेगा। इससे निगम को लाभ होगा। ई-टेंडर का साफ्टवेयर तैयार कर लिया है। राशन की चोरी सबसे बड़ी समस्या है। इसे रोकने के लिए क्या किया जा रहा है?

डिपो में मिलने वाले राशन की चोरी रोकने के लिए नया साफ्टवेयर तैयार किया है। इसके माध्यम से मॉनीटरिंग की जा रही है। राशन का डिपो के आधार पर बंटवारा किया गया है, जिसे ऑनलाइन देखा जा सकता है कि डिपो की सेल कितनी हुई, कितनी राशि का बेचा गया और कितना राशन बचा हुआ है। ईपीडीएस एचपी एप को लागू करने से अब तो व्यक्ति अपने मोबाइल फोन पर सब देख सकता है कि कितना राशन किस-किस दाम पर मिला और क्या राशन मिलना है। सस्ते राशन के लिए लोगों को डिपो के चक्कर काटने पड़ते हैं और राशन का पता ही नहीं चलता?

डिपो में राशन पहुंच गया है, इसका अब राशनकार्ड मुखिया के मोबाइल फोन पर मैसेज आएगा। अभी तक साढ़े अठारह लाख राशन कार्ड में से 11 लाख लोगों ने मोबाइल फोन पंजीकृत करवा दिए हैं। भविष्य में राशन लेते ही लोगों को संदेश आएगा कि कितना राशन कितने रुपये का लिया। इससे भी राशन की चोरी रुकेगी। निगम कि वित्तीय स्थित क्या स्थिति है और क्या-क्या समान आपूर्ति कर रहा है?

निगम 2.5 करोड़ रुपये के मुनाफे में चल रहा है। हर माह लोगों को सस्ता राशन उपलब्ध करवाया जा रहा है। इसमें हर माह 50 हजार क्विंटल दालें, 25 लाख लीटर सरसों का तेल, रिफाइंड सात लाख लीटर, नमक 15 हजार क्विंटल प्रदान किया जा रहा है। चार दालों में कोई भी तीन दालें जैसे उड़द व मलका 30 रुपये किलो, दाल चना 35 रुपये और मूंग साबुत 45 रुपये प्रति किलो प्रदान की जा रही है। चीनी हर माह 40 हजार क्विंटल दी जा रही है। गरीबी रेखा से नीचे वालों को यह 19 रुपये व अन्यों को 29 रुपये प्रति किलो की दर से दी जा रही है। राशन की गुणवत्ता जांचने के लिए क्या व्यवस्था है?

राशन की गुणवता के लिए समय-समय पर सैंपल लिए जाते हैं और उनकी जांच की जाती है। शिकायत आने पर तुंरत सैंपल ले लिए जाते हैं और इनके फेल होने पर जुर्माना लगाया जाता है। डिपो धारकों को भी आदेश दिए हैं हर माह का निर्धारित समय पर उठाएं।


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