आग से खतरे में आई हिमाचल की हरियाली, 1053 हेक्टेयर वन भूमि को पहुंचा है भारी नुकसान
इस साल हिमाचल के जंगल में आग की 229 घटनाएं सामने आ चुकी हैं1053 हेक्टेयर वन भूमि को पहुंचा है भारी नुकसान।
शिमला, रमेश सिंगटा। हिमाचल का हरित आवरण खतरे में हैं। इसे आग से खतरा बना हुआ है। हरित आवरण कुल भौगोलिक क्षेत्र का 26.40 फीसद है। तापमान में बढ़ोतरी होने के कारण आग की घटनाओं में भी अचानक उछाल आया है। इस साल अभी तक 229 घटनाएं सामने आई हैं। इनमें 1053 हेक्टेयर वन भूमि को नुकसान पहुंचा है।
गनीमत कि इससे किसी व्यक्ति की मौत होने की सूचना नहीं है। इस साल प्रदेश पर मौसम मेहरबान रहा है। इस कारण अप्रैल में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। लेकिन अब गर्मी बढ़ने का असर जंगलों पर भी हो रहा है। आग से अब तक 571. 53 हेक्टेयर प्राकृतिक और 186.10 हेक्टेयर क्षेत्र के प्लांटेशन को नुकसान हुआ है। 295.94 हेक्टेयर अन्य क्षेत्र प्रभावित हुआ है। कुल 1053.17 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई है। आग से नुकसान 18 लाख 17 हजार 435 रूपये का आंका गया है।
वनों में आग लगने के कारण
- प्रदेश में प्राकृतिक तौर पर आग की घटनाएं काफी कम होती हैं। अधिकांश घटनाएं इंसान द्वारा अनजाने व जानबूझकर कर आग लगाने से होती हैं।
- लोग नई घास के लालच में जंगलों में जानबूझ कर आग लगा देते हैं।
- अवैध कटान के बाद सुबूत मिटाने के लिए पेड़ों के ठूंठ जलाने से।
- गुच्छी उत्पादन बढ़ाने के लिए खरपतवार, घास जलाने के लिए।
- वन्य प्राणियों को पकड़ने या शिकार के लिए आग लगाने।
प्रदेश में ये हैं संवेदनशील मंडल
डलहौजी, नूरपुर, जोगेंद्रनगर, पार्वती, बिलासपुर, शिमला, नाहन, सोलन, रामपुर, हमीरपुर, चंबा, धर्मशाला, मंडी, बंजार, कुनिहार, रेणुका, नालागढ़, आनी, देहरा, पालमपुर, सुंदरनगर, पांवटा, ऊना, नाचन, राजगढ़ और करसोग वन विभाग आग के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र हैं।
आपदा प्रबंधन के लिए टोल फ्री नंबर देंगे सेवाएं
वन विभाग हर साल तीन माह के लिए टोल फ्री नंबर जारी करता था। इस बार राज्य आपदा राहत प्रबंधन अथॉरिटी से तालमेल स्थापित किया गया। महकमा उनके ही नंबर को इस्तेमाल कर रहा है। राज्य स्तर पर यह कंट्रोल नंबर 0177- 1070 है, जबकि जिलों में 1077 नंबर रहेगा। इसे डायल करने के लिए संबंधित जिले का कोड पहले लगाना होगा।
विभाग ने उठाए हैं यहकदम वन विभाग के पीसीसीएफ अजय कुमार के मुताबिक वनों में आग की घटनाओं को रोकने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए गए हैं। पहली बार 80 रेंज में दो-दो कार्यशालाएं आयोजित की गई। हर कार्यशाला में औसतन सौ लोगों की भागीदारी रही। उन्हें आग से बचाव के बारे में जागरूक किया गया। आग के सीजन से पहले ही पूरे प्रदेश में जागरूकता कार्यक्रम किए गए।
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