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बंदरों के आतंक से आप भी हैं परेशान, तो ये तरीके हो सकते हैं कारगार

शिमला में ‘वानर-मानव के बीच संघर्ष’ विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया और बंदरों से बचाव के उपाय भी सुझाये गये।

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 09:31 AM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 09:31 AM (IST)
बंदरों के आतंक से आप भी हैं परेशान, तो ये तरीके हो सकते हैं कारगार
बंदरों के आतंक से आप भी हैं परेशान, तो ये तरीके हो सकते हैं कारगार

शिमला, राज्य ब्यूरो। घर के आस पास बंदरों के आ जाने से राहगीरों को खासी परेशानी हो रही है, इस समस्या को को लेकर एक कार्यशाला का आयाेजन किया गया। जिसमें इस विषय पर चर्चा की गयी और प्रोत्साहन राशि को भी 700 रुपये से बढाकर एक हजार रुपये कर दिया गया है। वन मंत्री गोविंद ठाकुर ने यह ऐलान शिमला में ‘वानर-मानव के बीच संघर्ष’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में किया। इस दौरान लोगों और बंदरों के बीच बढ़ते संघर्ष को कम करने के प्रयासों पर विचार-विमर्श किया गया।

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कार्यशाला में चर्चा में कहा गया कि बंदरों को वैज्ञानिक आधार पर पकड़ा नहीं जा रहा है। बंदरों के प्राकृतिक वास पर लोग पहुंच गए हैं। इस कारण बंदर इंसानी आबादी की ओर आ गए हैं। वनों में उगने वाले पौधों के फलों की बजाय बंदर भी वही भोजन कर रहे हैं, जिसे इंसान ग्रहण कर रहा है। खाद्य पदार्थों के कारण भी बंदरों के व्यवहार में बदलाव आ गया है। मादा बंदर जल्द गर्भधारण कर रही हैं। बंदर अधिक हिंसक हो गए हैं।

 

कार्यशाला में आए सुझावों पर होगा विचार

अतिरिक्त मुख्य सचिव रामसुभग सिंह ने कहा कि कार्यशाला में आए सुझावों पर वन्य प्राणी प्रभाग विचार करेगा ताकि बंदरों की समस्या से निपटने के लिए और ठोस कदम उठाए जा सकें। प्रधान मुख्य अरण्यपाल डॉ. सविता ने कहा कि वन विभाग समय-समय पर गणना के माध्यम से बंदरों की संख्या पर निगरानी रख रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में अब बंदरों की संख्या घटकर लगभग दो लाख रह गई है। हिमाचल की 91 तहसीलों, उपतहसीलों व नगर निगम शिमला में एक वर्ष की अवधि के लिए बंदर वर्मिन घोषित हैं। कार्यशाला में महापौर कुसुम सदरेट व उपमहापौर राकेश शर्मा भी मौजूद रहे।

 बंदरों को पकड़ने के लिए देंगे प्रशिक्षण : गोविंद ठाकुर

वन मंत्री गोविंद ठाकुर ने कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कहा कि किसी भी योजना की सफलता के लिए लोगों की भागीदारी आवश्यक है। हिमाचल में बंदरों की समस्या के समाधान के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। नगर इकाइयों के माध्यम से इन प्रयासों को लोगों तक पहुंचाने की आवश्यकता है। किसानों को बंदरों की समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए इस समस्या का  कारगर तरीका नसबंदी है।वन विभाग बंदरों को पकड़ने के लिए स्थानीय लोगों को भी प्रशिक्षण देगा।  

क्या करें

  • बंदर खाने की वस्तु छीनने के लिए आप पर झपटे तो उससे मुकाबला न करें बल्कि उस वस्तु को दूर फेंक दें।
  • बंदर से नजर न मिलाएं।
  • बंदर द्वारा किए गए हमले के दौरान एकजुट रहें।
  • खाने का सामान पॉलीथीन के  लिफाफों की बजाय जूट के बैग में रखें।
  • कूड़ादान में कूड़ा डालने के बाद उसके ढक्कन को अच्छी तरह बंद करें।

 क्या न करें

  • बंदरों को न चिढ़ाएं।
  • बंदरों का फोटो या उनके साथ सेल्फी न लें।
  • बंदरों को खाने वाली वस्तुएं न दें।
  • बंदर के बच्चे के साथ खेलने की कोशिश न करें।
  • यदि बंदर झगड़ रहे हों तो हस्तक्षेप न करें।

बंदर मारने के पक्ष में नहीं मेयर

नगर निगम शिमला की मेयर कुसुम सदरेट बंदरों को मारने के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने बंदरों की साइंटिफिक किलिंग की जगह दूसरे उपायों पर विचार करने की मांग की। बेनमोर की पार्षद डॉ. किमी सूद ने बंदरों की नसबंदी कार्यक्रम की सफलता का पता करने की बात कही। पार्षद मीरा ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब वन विभाग बंदरों को मारने में प्रभावितों की मदद नहीं करेगा तो फिर कार्यशाला के आयोजन का क्या लाभ होगा?

नगर परिषद पालमपुर की अध्यक्ष राधा सूद ने वर्मिन को स्थायी प्रावधान घोषित करने की मांग की। वन्य प्राणी विशेषज्ञ डॉ. संदीप रतन ने बंदरों से लोगों को होने वाले संक्रमण से बचाव के तरीके बताए। तमिलनाडु से आए प्राइमेट विशेषज्ञ डॉ. एचएन कुमारा ने बंदरों को मारने से जुड़े विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी।

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