सरकार के शीतकालीन प्रवास पर संशय
कांगड़ा-चंबा यानि प्रदेश के नीचले क्षेत्रों के लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि सरकार का शीतकालीन प्रवास होगा या नहीं। ये प्रवास राजनीतिक ²ष्टि से भी अहम माना जाता है और कांग्रेस के हाथ मुद्दा लग सकता है। प्रदेश सरकार के शीतकालीन प्रवास पर संशय बना हुआ है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सोमवार को एक दिन के कांगड़ा दौरे पर तो जा रहे हैं मगर शाम को शिमला लौट आएंगे। ऐसे में उम्मीद कम नजर आ रही है कि आने वाले दिनों में सरकार शीतकालीन दौरा करेगी। हर साल सरकार सर्दियों में राज्य के निचले क्षेत्रों के लोगों की स
राज्य ब्यूरो, शिमला : कांगड़ा-चंबा यानी प्रदेश के निचले क्षेत्रों के लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि सरकार का शीतकालीन प्रवास होगा या नहीं। यह प्रवास राजनीतिक दृष्टि से भी अहम है। अगर प्रवास नहीं हुआ तो कांग्रेस के हाथ मुद्दा लग सकता है।
हालांकि प्रदेश सरकार के शीतकालीन प्रवास पर संशय बना है, लेकिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सोमवार को एक दिन के कांगड़ा दौरे पर आएंगे और शाम को शिमला लौटेंगे। हर साल सरकार सर्दियों में राज्य के निचले क्षेत्रों के लोगों की समस्याओं को सुनने के लिए दौरा करती है। इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव के कारण मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सहित समूची सरकार प्रचार के लिए गई थी। थका देने वाले चुनाव प्रचार के बाद विधानसभा का बजट सत्र निकट है। तैयारियां करना बाकी है। आला अधिकारियों के साथ बजट तैयार करने के लिए प्रत्येक विभाग के लिए बजट निर्धारण किया जाना है। इसके लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को अधिकारियों के साथ कम से कम एक सप्ताह का समय देना पड़ेगा। सरकार का शीलकालीन दौरा ऐसी रिवायत है कि सत्तारूढ़ दल इसकी अनदेखी नहीं कर सकता है।
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15 सीटों का खेल
राजनीतिक दृष्टि और जनसंख्या के लिहाज से कांगड़ा जिला राज्य का सबसे बड़ा है। कांगड़ा जिले में 15 विधानसभा क्षेत्र हैं। इस जिले से प्रदेश की राजनीति की रूपरेखा तय होती है। हार-जीत की पटकथा यही जिला लिखता है। कांगड़ा जिला के साथ चंबा जिला लगता है और दोनों जिलों को सियासी तौर पर सत्ता का रोड मैप माना जाता है।
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भेदभाव खत्म किया
जयराम ठाकुर ने सत्ता में आने के बाद ऊपरी और निचले हिमाचल का भेद खत्म किया। सभी जिलों का लगातार दौरा किया और आम आदमी से निकटता का रिश्ता कायम किया। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भाजपा को निचले हिमाचल की पार्टी बताते रहे हैं। उनके इस कथन को खत्म करके जयराम ठाकुर ने एक नई इबारत लिखी है। टोपी के रंगों को लेकर होने वाली सियासत को भी खत्म किया, लेकिन अब शीतकालीन प्रवास पर बनी शिथिलता को देखकर लगता है कि थकाऊ चुनाव प्रचार के बाद विधानसभा का बजट सत्र निकट है। चाहे चार-पांच दिन का ही सही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को प्रवास के लिए समय निकालना पड़ेगा।