विभागीय संगठनों के भी बदलेंगे चेहरे
- 82 विभागों में विभागीय संगठनों के होंगे चुनाव - 31 मार्च तक पूरे करवाने होंगे चुनाव,
- 82 विभागों में विभागीय संगठनों के होंगे चुनाव
- 31 मार्च तक पूरे करवाने होंगे चुनाव, चुनी जाएंगी खंड व जिला इकाइयां
- 10 से 12 कर्मचारियों की चुनी जाएगी कार्यकारिणी
राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अब कर्मचारियों के विभागीय संगठनों के भी चेहरे बदलेंगे। प्रदेश में करीब 82 विभागों में कर्मचारी अपने नेताओं का नए सिरे से चुनाव करेंगे। इस सिलसिले में नई सरकार से मान्यता प्राप्त अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के महासचिव एनआर ठाकुर ने चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी है। इस अधिसूचना के मुताबिक सभी विभागीय इकाइयों के चुनाव 31 मार्च तक संपन्न करवाने होंगे। पहले चरण में केवल विभागीय संगठनों के चुनाव करवाए जाएंगे। एक विभाग में प्रधान, महासचिव के अलावा दस से बारह कर्मचारियों की कार्यकारिणी चुनी जाएगी। खंड और जिला स्तर पर चुनाव होंगे। इसमें अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के जिला अध्यक्ष और महासचिव पर्यवेक्षक के तौर पर मौजूद रहेंगे। चुनाव आम सभा में होगा। इसमें नेताओं का चुनाव आपसी सहमति से होगा। अगर कहीं सहमति नहीं बनी तो फिर उस सूरत में वोटिंग होगी।
हाथ खड़े करने की रिवायत पर चोट
अब की बारी महासंघ ने तय किया है कि हाथ खड़े करने की रिवायत पर चोट की जाएगी। चुनाव में लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाई जाएगी। महासंघ के संविधान के मुताबिक ही चुनाव होंगे। इसमें सत्ता का कोई सहारा नहीं लिया जाएगा। कर्मचारियों पर जबरन नेता नहीं थोपे जाएंगे। पूर्व में ऐसा होता रहा है।
प्रदेश में हैं ढाई लाख कर्मचारी
प्रदेश में करीब ढाई लाख कर्मचारी हैं। अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ सबसे बड़ा प्रतिनिधि संगठन है। शिक्षा विभाग को छोड़ ज्यादातर संगठन इसी के तहत कवर होते हैं। पूर्व धूमल सरकार में अस्थायी कर्मचारियों को भी महासंघ ने अपने साथ जोड़ा था। उन्हें जेसीसी बैठक में भी भाग लेने के लिए अधिकृत किया था।
बंद कमरों में नहीं होंगे चुनाव
अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रदेश महासचिव एनआर ठाकुर, अतिरिक्त महासचिव गोपाल झिल्टा ने विभागीय संगठनों के चुनाव करवाने के लिए अधिसूचना जारी करने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से होंगे। बंद कमरों में चुनाव करवाने की प्रथा बंद करने के आदेश दिए गए हैं। इनका पालन सुनिश्चित करना होगा। ये चुनाव महासंघ के पदाधिकारियों की निगरानी में होंगे।
कर्मचारियों की भूमिका अहम
प्रदेश सरकार को बनाने और बिगाड़ने में कर्मचारियों की भूमिका अहम होती है। कर्मचारियों को किसी भी सरकार की रीढ़ की हड्डी माना जाता है, लेकिन काफी अरसे से महासंघ सरकार का पिछलग्गू संगठन बनता जा रहा है। सरकार बदलने के साथ ही इस संगठन के पदाधिकारी भी बदल जाते हैं। इसके अलावा महासंघ के भीतर आपसी खींचतान बढ़ने से कर्मचारियों के असल मुद्दे सरकार तक प्रभावी ढंग से नहीं उठ पाते हैं।