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Himachal Pradesh: विधानसभा में वॉटर सेस एक्ट पर बोले सीएम सुक्खू, कहा- पानी राज्य का विषय

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा विधानसभा में जल उपकर को लेकर वक्तव्य दिया गया। इस दौरान उन्होंने वॉटर सैस एक्ट को लेकर कई बातें कही। पंजाब व हरियाणा सरकार द्वारा उठाए गए मामले पर सुक्खू ने स्पष्टीकरण भी दिया।

By Jagran News NetworkEdited By: Jagran News NetworkPublished: Thu, 23 Mar 2023 12:58 PM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2023 12:58 PM (IST)
विधानसभा में वॉटर सेस एक्ट पर बोले सीएम सुक्खू

जागरण संवाददाता, शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा विधानसभा में जल उपकर को लेकर वक्तव्य दिया गया। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा लाए गए जल उपकर अधिनियम - 2023 पर पंजाब व हरियाणा सरकार द्वारा उठाए गए मामले पर सुक्खू ने स्पष्टीकरण देते हुए कई बातें कही।

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पड़ोसी राज्यों के जल अधिकार का उल्लंघन नहीं

हिमाचल प्रदेश अपने पड़ोसी राज्यों को सम्मान देते हुए कहना चाहता है कि प्रदेश में सरकार द्वारा वॉटर सेस ऑन हाइड्रो पावर जनरेशन एक्ट 2023 जो लागू किया है वह किसी प्रकार की अन्तर्राजीय संधियों का उल्लंघन नहीं करता न ही Indus water treaty के प्रावधानों का उल्लंघन करता है। पंजाब व हरियाणा द्वारा यह कहना कि हिमाचल सरकार का जल उपकर लगाने का फैसला अन्तर्राजीय जल विवाद अधिनियम-1956 के खिलाफ है तर्कसंगत नहीं है क्योंकि इसमें पड़ोसी राज्यों को छोड़े जाने वाले पानी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस अधिनियम का कोई भी प्रावधान पड़ोसी राज्यों के जल अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है।

प्रदेश की लगभग 45000 हेक्टेयर भूमि जलमग्न

पावर जनरेशन पर जल उपकर लगाना राज्य के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत है और यह तर्कसंगत है कि राज्य में बी.बी.एम.बी की तीन परियोजनाओं के जलाशयों से प्रदेश की लगभग 45000 हेक्टेयर भूमि जलमग्न गई है। हिमाचल प्रदेश में इन परियोजनाओं से बने जलाशयों से प्रदेश को पानी पर तो कोई भी अधिकार प्राप्त नहीं है अपितु इन जलाशयों के विपरित पर्यावरण प्रभावमाननीय मुख्यमंत्री महोदय का वक्तव्य

मैं यह भी संज्ञान में लाना चाहता हूं कि पावर जनरेशन पर जल उपकर लगाना राज्य के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत है और यह तर्कसंगत है कि राज्य में बी.बी.एम.बी की तीन परियोजनाओं के जलाशयों से प्रदेश की लगभग 45000 हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो गई है। हिमाचल प्रदेश में इन परियोजनाओं से बने जलाशयों से प्रदेश को पानी पर तो कोई भी अधिकार प्राप्त नहीं है अपितु इन जलाशयों के विपरित पर्यावरण प्रभाव स्थापित जल विद्युत परियोजनाओं द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले जल पर उपकर लगाया है न कि पड़ोसी राज्य की सीमाओं में बहने वाले पानी पर।

राज्य को आय के स्त्रोतों को बढ़ाने का पूरा अधिकार

पड़ोसी राज्य में जो वॉटर सेस ऑन हाइड्रो पावर जनरेशन एक्ट 2023 का मामला उठाया जा रहा है वह तर्कसंगत नहीं है क्योंकि यह भी बताना उचित होगा कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य नहीं है जिसने परियोजनाओं के उपयोग में आने वाले जल पर उपकर लगाया है। इससे पहले पड़ोसी राज्य उत्तराखंड़ ने 2013 में व जम्मू और कश्मीर ने 2010 में वॉटर सेस एक्ट पारित किया गया है। यह कहना भी उचित होगा कि पहाड़ी राज्यों के पास आय की सीमित साधन होने की स्थिति में राज्य को अपने आय के स्त्रोतों को बढ़ाने का पूरा अधिकार है। इस तर्ज पर अन्य पड़ोसी राज्यों जैसे कि उत्तराखंड व जम्मू और कश्मीर ने पहले ही वॉटर सेस एक्ट लागू कर दिया है। जिनसे राज्य को आय प्राप्त हो रही है अतः यह कहना गलत है कि राज्य को अपने जल स्त्रोतो पर वॉटर सेस लगाने का अधिकर नहीं है।

पंजाब राज्य के तटीय अधिकारों का उल्लंघन नहीं

संवैधानिक प्रावधान के अनुसार, पानी राज्य का विषय है और इसके जल संसाधनों पर राज्य का अधिकार है। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश सिंधु जल संधि, 1960 को मान्यता देता है और हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्रख्यापित जल विद्युत उत्पादन अधिनियम, 2023 पर हिमाचल प्रदेश जल उपकर उक्त संधि के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता है। क्योंकि जल उपकर लगाने न तो पड़ोसी राज्यों को पानी छोड़े जान पर कोई प्रभाव पड़ता है और न ही नदियों के प्रवाह पैटर्न में कोई परिवर्तन होता है।इसलिए, यह अध्यादेश पंजाब राज्य के किसी भी तटीय अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है।

इसके अलावा, यह प्रस्तुत करना उचित हैं कि जल विद्युत उत्पादन अधिनियम, 2023 पर हिमाचल प्रदेश जल उपकर का कोई भी प्रावधान अंतर्राज्यीय नदी विवाद अधिनियम, 1956 के नखिलाफ है या उल्लंघन करता है और राज्य को बिजली उत्पादन पर जल उपकर लगाने से रोकता नहीं है। पानी के उपयोग पर और इस अधिनियम की धारा 7 के तहत जल उपकर लगाने पर कोई रोक नहीं है। अंतर्राज्यीय नदी विवाद अधिनियम, 1956 की धारा 7 यह प्रावधान करती है।

पानी राज्य का विषय

जहां तक भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) का संबंध है, इसकी स्थापना विद्युत मंत्रालय द्वारा पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के प्रावधानों के अनुसार भाखड़ा नांगल परियोजना के प्रशासन, रखरखाव और संचालन के लिए की गई थी, जो संयुक्त है। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और चंडीगढ़ राज्यों का उपक्रम है, इसलिए बीबीएमबी के प्रबंधन पर पंजाब व हरियाण राज्यों का ही नियंत्रण नहीं है। इसलिए, बीबीएमबी की परियोजनाओं में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा लगाए गए जल उपकर का भार हिमाचल प्रदेश सहित पांच राज्यों में समान रूप से वितरित किया जाएगा।

उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर सरकार जैसी विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा जल उपकर पहले ही लगाया जा चुका है। इसी तर्ज पर हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य का राजस्व बढ़ाने के लिए विभिन्न बिजली उत्पादन एजेंसियों द्वारा पानी के उपयोग पर जल उपकर लगाया है। राज्य को पानी के उपयोग पर उपकर लगाने का पूरा अधिकार है क्योंकि पानी राज्य का विषय है।

सुक्खू ने कहा कि मैं माननीय सदन को सूचित करना चाहता हूं कि यह अध्यादेश किसी भी तरह से Inter State River Dispute Act-1956 या अन्य किसी MoU के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करता है और मैं समस्त पड़ोसी राज्यों अधिनियम को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह अध्यादेश किसी के भी Legitimate Right को प्रभावित नहीं करेगा।


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