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महासंघ में मार्च में छिड़ेगा महाभारत

राज्य ब्यूरो, शिमला : अराजपत्रित कर्मचारी के मौजूदा महासंघ का कार्यकाल मार्च में खत्म हो रह

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Dec 2017 07:21 PM (IST)Updated: Sun, 03 Dec 2017 07:21 PM (IST)
महासंघ में मार्च में छिड़ेगा महाभारत
महासंघ में मार्च में छिड़ेगा महाभारत

राज्य ब्यूरो, शिमला : अराजपत्रित कर्मचारी के मौजूदा महासंघ का कार्यकाल मार्च में खत्म हो रहा है। नए साल में नए महासंघ के गठन के लिए महाभारत छिड़ेगा। सरकार से मान्यता प्राप्त संगठन का कार्यकाल कुछ माह के बाद खत्म हो रहा है। तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद नए के लिए जंग होगी। अभी इसके मुखिया एसएस जोगटा हैं, जबकि महासचिव गोपाल शर्मा हैं। इसके पहले कांग्रेस सरकार समर्थक दो नेताओं जोगटा और सुरिंद्र मनकोटिया के बीच खींचतान चलती रही। दो साल इसी में गुजर गए। बाद में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने दोनों के बीच समझौता करवाया। मनकोटिया को कर्मचारी कल्याण बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया था। उन्होंने कांगड़ा जिले से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा का चुनाव भी लड़ा है। जोगटा को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया।

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महासंघ की सरकार के साथ पहली संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की बैठक 27 जनवरी को 2015 को हुई। इसमें सीएम वीरभद्र सिंह ने भी भाग लिया था। कर्मचारियों के लिए कई घोषणाएं हुई थी, लेकिन इन पर नौकरशाही ने अड़ंगा अटकाया। सभी जिलों में जेसीसी बैठकें हुई, पर शिमला में नहीं हुई। इससे कर्मचारियों के मुद्दे उचित मंच पर नहीं उठ पाए। इसके अलावा कर्मचारियों के लंबित मामले को भी नहीं सुलझाया गया। हालांकि बाद में कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में सरकारी मुलाजिमों को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।

समानांतर संगठन भी रहा सक्रिय

पांच साल में मान्यता प्राप्त महासंघ के समानांतर दूसरा महासंघ भी सक्रिय रहा। इसकी अगुवाई सुरेंद्र ठाकुर ने की। ठाकुर पूर्व धूमल सरकार में महासंघ के अध्यक्ष रहे थे। वह फिर से संगठन पर कब्जा करने के प्रयास करेंगे। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि प्रदेश में अगली सरकार किसकी बनती है।

महासंघ का कार्यकाल कुछ समय बाद पूरा हो रहा है। मार्च में पहले ब्लॉक के चुनाव होंगे। फिर जिला और अंत में राज्यस्तर पर नई कार्यकारिणी गठित होगी। पांच साल में भी विरोधियों ने महासंघ को तोड़ने के प्रयास कम नहीं किए, लेकिन इन्हें इसमें सफलता हाथ नहीं लगी। हमारा संगठन सरकार से मान्यता प्राप्त है। इसका अपना संविधान है। इसे संविधान के हिसाब से ही चलाया जाएगा।

-एसएस जोगटा, प्रदेशाध्यक्ष, कर्मचारी महासंघ


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