वित्तीय सहायता देने से बचने के लिए तकनीकी कारण न तलाशें
प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी को वित्तीय सहायता प्रदान करने का आदेश दिया।
विधि संवाददाता, शिमला : प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानी की 89 वर्षीय पत्नी को हिमाचल प्रदेश स्वतंत्रता सेनानी स्कीम 1985 के अंतर्गत वित्तीय सहायता प्रदान करने का आदेश पारित किया। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने राज्य सरकार से आशा जताई कि भविष्य में इस तरह के मामलों को गंभीरता से लिया जाएगा। वित्तीय सहायता देने से बचने के लिए तकनीकी कारण नहीं तलाशे जाएंगे। कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दायर अपील को नामंजूर करते हुए यह आदेश पारित किया।
अपील में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी गुलाबू देवी के पति को 15 अगस्त 1972 को ताम्रपत्र से सम्मानित किया गया था। ताम्रपत्र दिए जाने के बावजूद उन्हें हिमाचल प्रदेश स्वतंत्रता सेनानी सम्मान स्कीम 1985 के अंतर्गत कोई वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की गई। प्रार्थी के पति की 12 जून 1997 को मृत्यु हो गई। इसके बाद प्रार्थी ने कई बार राज्य सरकार के समक्ष हिमाचल प्रदेश स्वतंत्रता सेनानी सम्मान स्कीम 1985 के तहत वित्तीय सहायता प्रदान किए जाने की मांग की। कोई कारगर कदम न उठाने पर प्रार्थी को हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल करनी पड़ी। इसे एकल पीठ द्वारा मंजूर कर प्रार्थी को वित्तीय सहायता प्रदान किए जाने का आदेश पारित किया गया।
सरकार ने एकल पीठ के फैसले को खंडपीठ के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी। खंडपीठ ने पाया कि एकल पीठ द्वारा पारित फैसले में कोई कमी नहीं है। स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी वित्तीय सहायता प्राप्त करने का हक रखती हैं। सरकार के निष्ठुर रवैये के कारण उन्हें वित्तीय सहायता से वंचित रहना पड़ा है।