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सिपहिया को निलंबित करने के आदेश पर रोक से इन्कार

प्रदेश हाईकोर्ट ने कागड़ा केंद्रीय सहकारी (केसीसी) बैंक के अध्यक्ष पद से निलंबित सिपहिया को राहत नहीं दी है

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Apr 2018 08:35 PM (IST)Updated: Thu, 19 Apr 2018 08:35 PM (IST)
सिपहिया को निलंबित करने के आदेश पर रोक से इन्कार
सिपहिया को निलंबित करने के आदेश पर रोक से इन्कार

जागरण संवाददाता, शिमला : प्रदेश हाईकोर्ट ने कागड़ा केंद्रीय सहकारी (केसीसी) बैंक के अध्यक्ष जगदीश चंद सिपहिया को निलंबित करने वाले आदेश पर रोक लगाने से फिलहाल इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने सिपहिया को इस पद से निलंबित करने व हटाने बाबत रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव सोसायटी के कारण बताओ नोटिस पर रोक लगाने वाले आवेदन सहित इसे खारिज किए जाने की माग वाली याचिका में राज्य सरकार सहित केसीसी बैंक प्रबंधन को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब तलब किया है। रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव सोसायटी ने छह अप्रैल को पारित आदेश में केसीसी बैंक के अध्यक्ष सहित सभी निदेशकों को निलंबित कर दिया था। इसी आदेश में इन्हें यह बताने को कहा था कि क्यों न उन्हें उनके पदों से हटाया जाए। मामले पर सुनवाई 10 मई को निर्धारित की गई है। रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव सोसायटी व केसीसी बैंक को इस मामले में प्रतिवादी बनाया गया है।

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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने जगदीश चंद सिपहिया की दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किए। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार केसीसी बैंक में कई तरह की अनियमितताएं बरतने के आरोपों को लेकर छह अप्रैल को रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव सोसायटी ने प्रार्थी जगदीश सिपहिया सहित कुलदीप सिंह पठानिया, अजीत पाल महाजन, प्रेमलता ठाकुर, करनैल सिंह राणा, केशव कोरला, आत्मप्रकाश ठाकुर, छेरिंग ताशी, मनोहर लाल, राजीव गौतम, लेखराज कंवर, सुनील दत्त, संजीव राणा, हितेश्वर सिंह, प्रकाश चंद को अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, व निदेशकों के पदों से निलंबित कर दिया। प्रार्थी ने आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ जारी कारण बताओ नोटिस कानून के नजरिए से गलत है। प्रार्थी व बोर्ड के अन्य सदस्यों ने अभी तक अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। इस कारण उन्हें समय से पहले बर्खास्त किया जाना कानूनी तौर पर गलत है। कमेटी के सभी सदस्यों को को-ऑपरेटिव सोसायटी रूल्स के तहत चुनाव आयोजित करने के बाद ही चयनित किया था। प्रार्थी ने राज्य सरकार द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस रद करने की गुहार लगाई है।


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