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केंद्रीय कानून लागू न करने पर केंद्र व प्रदेश सरकार से जवाब तलब

न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर व न्यायाधीश चंद्रभुसन बारोवालिया की खंडपीठ ने उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात ये आदेश पारित किए। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार वर्ष 2

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 08:30 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 08:30 PM (IST)
केंद्रीय कानून लागू न करने पर केंद्र व प्रदेश सरकार से जवाब तलब
केंद्रीय कानून लागू न करने पर केंद्र व प्रदेश सरकार से जवाब तलब

विधि संवाददाता, शिमला : हाईकोर्ट ने बुजुर्गो के कल्याण के लिए बनाए कानून को प्रदेश में लागू न करने पर केंद्र और प्रदेश सरकार से एक हफ्ते में जवाब तलब किया है। न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर व न्यायाधीश चंद्रभूषण बारोवालिया की खंडपीठ ने उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव की ओर से दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद ये आदेश पारित किए। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार वर्ष 2007 में केंद्र सरकार ने माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम बनाया था। इसके तहत बुजुर्गो के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं हैं, लेकिन 13 वर्ष बीत जाने के बावजूद प्रदेश सरकार ने इसे लागू नहीं किया। इससे बुजुर्गो को अनेक लाभों से वंचित होना पड़ रहा है। याचिकाकर्ता के अनुसार वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण केंद्र और प्रदेश सरकारों द्वारा बुजुर्गो की आवाजाही पर लगाए गए प्रतिबंध के समय उन्हें वर्ष 2007 के केंद्रीय कानून का लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2001 में अभिभावक एवं आश्रित भरण पोषण कानून बनाया था, जो काफी पुराना हो चुका है। उससे बेहतर और कहीं ज्यादा व्यापक 2007 में बना केंद्रीय कानून है, इसलिए याचिकाकर्ता अजय श्रीवास्तव ने अदालत से प्रार्थना की है कि वर्ष 2001 के प्रदेश सरकार के कानून को रद करके उसके स्थान पर वर्ष 2007 के केंद्रीय कानून को तुरंत लागू किया जाए।

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