कौशल विकास भत्ते में घोटाले पर हाईकोर्ट ने मांगी जांच रिपोर्टे
प्रदेश हाईकोर्ट में कौशल विकास भत्ते में घोटाले की जांच से जुड़े मामले में सुनवाई 25 मार्च के लिए टल गई। कोर्ट ने प्रदेश के युवा बेरोजगारों को मिलने वाले कौशल विकास भत्ते में घोटाले की आशंका जताते हुए प्रदेश सरकार से उन सभी संस्थानों का ब्यौरा मांगा है जो इस भत्ते को प्रशिक्षुओं में आबंटित करते हैं।
जागरण संवाददाता, शिमला : कौशल विकास भत्ते में घोटाले की जांच से जुड़े मामले में प्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई 25 मार्च के लिए टल गई। कोर्ट ने प्रदेश के युवा बेरोजगारों को मिलने वाले कौशल विकास भत्ते में घोटाले की आशंका जताते हुए प्रदेश सरकार से उन सभी संस्थानों का ब्योरा मांगा है जो इस भत्ते को प्रशिक्षुओं में आवंटित करते हैं।
सरकार की ओर से मामले की सुनवाई के दौरान बताया गया कि पुलिस व प्रशासन की ओर से कुछ सूचनाएं मिली हैं। अन्य जिलों से सूचनाएं एकत्रित करने के लिए छह सप्ताह लगेंगे। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने पुलिस व प्रशासन की अलग-अलग जांच रिपोर्टो को कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश दिए। कोर्ट ने उन सभी शिक्षण अथवा प्रशिक्षण संस्थानों का ब्योरा भी मांगा है जिन्हें राज्य सरकार हर महीने 1000 रुपये प्रति प्रशिक्षु कौशल भत्ता जारी करती है। कोर्ट के समक्ष आए एक मामले के अनुसार सिरमौर जिला के संगड़ाह में पंजीकृत डीआइसीई एजुकेशन सोसायटी को कौशल विकास भत्ते में गड़बड़ी की आशंका के मद्देनजर रोजगार अधिकारी ने छह अप्रैल 2018 को आदेश जारी कर ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था। सोसायटी ने खुद पर लगाए आरोपों को निराधार बताते हुए इन्हें निरस्त करने की मांग की है। प्रार्थी सोसायटी के अनुसार वर्ष 2016 से बेरोजगार युवाओं को संगड़ाह, हरिपुरधार व शिलाई में अपने संस्थानों के माध्यम से आइटी व नॉन आइटी ट्रेड में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण सत्र 2017-18 में उनके संस्थानों में 221 दाखिले हुए। प्रार्थी के अनुसार अचानक सोसायटी के चैयरमेन कुलदीप ¨सह के खाते में बेरोजगारी भत्ते वाली राशि गलती से आनी शुरू हो गई। उन्होंने मार्च में इसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों सहित पुलिस से की। अप्रैल में रोजगार कार्यालय ने उन्हें 35,000 रुपये लौटाने व सोसायटी को ब्लैकलिस्ट करने के आदेश जारी कर दिए। हालांकि सोसायटी के चैयरमेन ने इस राशि को वापस भी कर दिया मगर इसे ब्लैकलिस्ट श्रेणी से नहीं हटाया। कोर्ट ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान प्रथम दृष्टया पाया कि इस तरह के कथित घोटाले प्रदेश के अन्य स्थानों में भी हुए या हो रहे होंगे। कोर्ट ने आशंका जताई है कि हो सकता है कौशल विकास भत्ते का लाभ पात्र बेरोजगार प्रशिक्षुओं को न मिल रहा हो।