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क्यों मनायी जाती है हरतालिका तीज

सुख वैभव, संतान और सौभाग्य को प्रदान करने वाला हरतालिका तीज का व्रत इस वर्ष 24 अगस्त को मनाया जाएगा।

By Munish DixitEdited By: Published: Tue, 22 Aug 2017 04:07 PM (IST)Updated: Wed, 23 Aug 2017 11:13 AM (IST)
क्यों मनायी जाती है हरतालिका तीज
क्यों मनायी जाती है हरतालिका तीज

जागरण संवाददाता, शिमला : सुख वैभव, संतान और सौभाग्य को प्रदान करने वाला हरतालिका तीज का व्रत इस वर्ष 24 अगस्त को मनाया जाएगा। यह व्रत महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है और भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। तृतीया तिथि 23 अगस्त को को रात 9 बजकर 3 मिनट पर आरंभ हो जाएगी व 24 अगस्त को रात 8 बजकर 17 मिनट तक रहेगी। 24 अगस्त को तृतीया तिथि दिन भर रहेगी इस कारण हरतालिका तीज का व्रत 24 अगस्त को ही मनाया जाएगा, लेकिन व्रत करने वाली महिलाओं को 8 :27 से पहले पूजन अर्चन तथा कथा श्रवण करना होगा। कथा श्रवण के लिए शुभ मूर्हत 4:14 से 6:21 तक रहेगा। खास बात यह है कि हरतालिका व्रत में 24 अगस्त को भद्रा मुक्त है। इसलिए जो महिलाएं या युवतियां इस व्रत को पहली बार भी करना चाहती है वह कर सकती है। हरतालिका तीज व्रत को लेकर महिलाओं के राजधानी शिमला के बाजारों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। महिलाएं बाजारों में खूब खरीदारी कर रही हैं। बाजारों में भी व्रत के चलते खूब भीड़ बनी हुई है।

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पहली बार इस व्रत को माता पार्वती ने भाद्रपद माह की तृतीया तिथि को किया था जिस कारण इसे गौरी तृतीया भी कहा जाता है। तभी से यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है। व्रत को पूर्ण करने के लिए व्रतधारी महिलाएं सूर्य अस्त के बाद विधि पूर्वक शिव व पार्वती की मिट्टी की मूर्ति बनाकर पूजा करने का विधान शास्त्रों में कहा गया है।  जहां निसंतान महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती है वहीं कुछ महिलाएं सौभाग्य प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं तथा कुवांरी लड़कियां इस व्रत को अच्छे पति की प्राप्ति के लिए करती हैं।


 महिलाएं व कन्याएं दिनभर निराहार रहकर इस व्रत को करती है तथा नए वस्त्र धारण कर मिट्टी से बनी शिव-पार्वती की मूर्ति का विधि विधान से पूजन कर हरितालिका तीज की कथा सुनती है। माता पार्वती को सुहागिनों द्वारा सुहाग का सामान भी चढ़ाने का भी विशेष महत्व है। इस व्रत के दिन सुहागिनों द्वारा सौभाग्य वस्तुएं व वस्त्र दान करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
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पंडित प्रमोद  शर्मा का कहना है कि जिन महिलाओं व कन्याओं ने उपवास रखना हो वह 24 अगस्त को दिन भर निराहार रहकर सूर्य उदय के बाद शिव पार्वती का पूजन कर व्रत का पारायण करें।  उनका कहना है कि जिन कन्याओं का विवाह नहीं हुआ है, उन्हें इस व्रत को करने से मनचाहा वर मिलता है। उनके लिए यह व्रत काफी फलदायी होता है।

क्यों मनायी जाती है हरतालिका तीज
पंडि़तों के अनुसार इस व्रत को सबसे पहले गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती ने किया था, जिसके फलस्वरूप भगवान शंकर उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए। इच्छित वर प्राप्ति के लिए पार्वती जी ने तपस्या की। पार्वती माता ने कंदराओं के भीतर शिवजी की रेत की मूर्ति बनाकर उनका पूजन किया। उस दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया थी। माता ने निर्जल, निराहर व्रत करते हुए दिन-रात शिव नाम मंत्र का जाप किया। पार्वती की सच्ची भक्ति एवं संकल्प की दृढ़ता से प्रसन्न होकर सदाशिव प्रकट हो गए और उन्होंने उमा को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। तभी से इस व्रत को हिन्दु धर्म की अधिकतर महिलाएं सौभाग्य प्राप्ति के लिए करती हैं।


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