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हिमाचल में मिटेगी गरीबी रेखा, संपन्न बनेंगे गरीब परिवार

BPL Family in Himachal हिमाचल सरकार ने गरीबों के संपन्न बनाने के लिए एक अनोखी पहल की है जिसमें गरीबों को सेब और आम का बगीचा लगाकर दिया जाएगा जिससे वह अपना जीवनयापन कर सके।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 08:40 AM (IST)Updated: Tue, 24 Sep 2019 12:48 PM (IST)
हिमाचल में मिटेगी गरीबी रेखा, संपन्न बनेंगे गरीब परिवार
हिमाचल में मिटेगी गरीबी रेखा, संपन्न बनेंगे गरीब परिवार

शिमला, राज्य ब्यूरो। गरीब परिवारों को आर्थिक तौर पर संपन्न बनाने के लिए हिमाचल सरकार ने अनोखी पहल की है। कोई गरीब परिवार सेब का बगीचा लगाना चाहता है तो उसे बगीचा लगाकर दिया जाएगा। यदि कोई परिवार आम का बगीचा लगाकर जीवनयापन करना चाहता है तो उसके लिए सरकार सहारा बनेगी। इस प्रकार का सहारा राज्य में गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) रहने वाले परिवारों को प्राप्त होगा।

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प्रदेश में अब योजना का स्वरूप बदल गया है। कर्ज देने की व्यवस्था खत्म कर उसकी जगह जो कार्य बीपीएल परिवार चाहता है, वही काम करने की व्यवस्था होगी। सरकार ने प्रत्येक वर्ष एक लाख बीपीएल परिवारों को स्वरोजगार से जोड़ने का मास्टरप्लान तैयार किया है। शर्त यह है कि बेरोजगार युवाओं के पास अपनी जमीन हो। यदि जमीन है तो उस बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने में सरकार मददगार होगी। 

प्रदेश के निचले क्षेत्रों में चंदन के पौधे रोपे जा सकते हैं। यदि कोई कृषक है तो उसे जैतून की खेती करने में भी सहयोग किया जा सकता है। बगीचे लगाने से लेकर मुखमक्खी पालन, भेड़-बकरी पालन, दुग्ध पालन सहित ऐसे ही कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। तीन भेड़ व एक मेढ़ा दिया जाएगा जबकि मधुमक्खियां मुफ्त में उपलब्ध करवाई जाएंगी। इसके लिए पहले हर घर-घर जाकर लोगों की व्यवसाय करने से संबंधित इच्छा की जानकारी ली जाएगी। उसके बाद हर साल एक लाख परिवारों को गरीबी के दुश्चक्र से बाहर निकाला जाएगा। 

जयराम सरकार राज्य को बीपीएल मुक्त बनाने की तैयारी में है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने यह लक्ष्य रखा है जो चरणबद्ध ढंग से आगे बढ़ेगा। विभाग गांवों में बने स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए जाने वाले उत्पादों को बेचने के लिए जिलों में काउंटर स्थापित करेगा। यह भी निर्णय लिया है कि बाह्य शौचमुक्त करने की योजना के तहत जिन लोगों के घरों में एक पिट बनाए गए हैं, वहां डबल पिट बनाए जाएंगे। 

अब कर्ज देने के बजाए बीपीएल परिवार जो काम करना चाहता है, वह कार्य दिया जाएगा। पौधे लगाकर देने के अलावा अन्य कारोबारों में भी सरकार इसी तरह मदद करेगी।

-वीरेंद्र कंवर, पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री।

मनरेगा में करना होगा 20 दिन काम

बीपीएल परिवार को एक साल में कम से कम 20 दिन मनरेगा में काम करना होगा। हालांकि पहले 50 दिन की शर्त रखी गई थी। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप करने के बाद काम करने के दिनों की संख्या को 20 दिन किया गया है। मनरेगा के तहत सराज की मुराग पंचायत के खूनाणी गांव को आदर्श ग्रीन हाउस विलेज के रूप में विकसित किया गया है। यहां के लोगों की आमदनी को भी बढ़ाया गया जो 60-70 हजार से दो लाख रुपये प्रतिवर्ष तक जाती है।

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