आर्मी में भी रहा, हर दर्द सहा, नहीं सहा जा रहा कान का दर्द
Former Himachal Public Service Commission chairman commits suicide. लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष चंद्र मोहन शर्मा कान की बीमारी टिनिटस से पीड़ित थे।
शिमला, जेएनएन। मैं आर्मी में भी रहा। हर दर्द सहा मगर कान में होने वाला दर्द मुझसे सहा नहीं जा रहा। मैंने एक-एक चीज जोड़कर प्रॉपर्टी बनाई है। इस सुसाइड नोट में एक-एक चीज के बारे में बता रहा हूं। मेरे बच्चों का ध्यान रखना। मैं ऐसी जिंदगी नहीं जी पा रहा हूं। मेरे पास कोई सेकेंड ऑप्शन नहीं है। ये बातें सेवानिवृत्त मेजर जनरल चंद्र मोहन शर्मा ने पांच पन्नों के सुसाइड नोट में लिखी हैं जिसे उन्होंने अपने कमरे में रखा था। उन्होंने सुसाइड नोट में अपनी बीमारी व संपति का भी जिक्र किया। सुसाइड नोट अंग्रेजी में लिखा था।
सुसाइड नोट पढ़कर पुलिस प्रथम दृष्टया मान रही है कि चंद्र मोहन कई दिन से परेशान थे। बीमारी के कारण वह अकसर चिंता में रहते थे। पड़ोसियों के मुताबिक चंद्र मोहन एक महीने से आत्महत्या से जुड़ी बातें करते रहते थे। पड़ोसियों ने उन्हें काफी समझाने का प्रयास किया। इसी साल उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी। इसके बाद वह अकसर बीमार रहते थे। रात-रातभर उन्हें नींद नहीं आती थी। इस कारण उन्होंने नींद की दवाइयां खाना शुरू किया था। कुछ दिन से दवाई ने असर करना कम कर दिया था। जरा सा शोर उनकी नींद तोड़ देता था। उन्हें कई घंटे तक नींद नहीं आती थी।
सुसाइड नोट की लिखावट
चंद्र मोहन की पुलिस ने सुसाइड नोट कब्जे में ले लिया है। परिजनों ने सुसाइड नोट की लिखावट को चंद्र मोहन की ही बताया है। लेकिन पुलिस को अभी वह डायरी नहीं मिली है जिससे सुसाइड नोट के पांचों पेज फाड़े गए हैं। फॉरेंसिक टीम को यह सुसाइड नोट भेजा जाएगा। पत्नी से कहा था नाश्ते में उपमा बनाना वीरवार रात चंद्र मोहन ने पत्नी के साथ डिनर किया। उस दौरान उन्होंने पत्नी को कहा कि शुक्रवार सुबह हल्का नाश्ता बनाएं, खासकर उपमा खाने का मन है। पत्नी ने कहा था कि वह उपमा बना देंगी। लेकिन शुक्रवार सुबह जब पत्नी उन्हें चाय देने गई तो वह कमरे में नहीं थे। जब मिले तो उनकी मौत हो चुकी थी।
क्या है टिनिटस
चंद्र मोहन शर्मा टिनिटस बीमारी से पीड़ित थे। टिनिटस के लिए कोई इलाज नहीं है क्योंकि यह विकार अंतर्निहित स्थिति का संकेत है। डॉक्टर टिनिटस के कारण का निर्धारण करने के लिए पूर्ण शारीरिक परीक्षा की सलाह देते हैं। यदि इससे रोग सामने नहीं आता है तो ईएनटी विशेषज्ञ या ऑडियोलॉजिस्ट को दिखाना होगा। इसमें कान में नसों की जांच होती है। एक ऑडियोग्राम, एमआरआई या सीटी स्कैन करवाया जा सकता है। यदि टिनिटस अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थिति के कारण हो तो इसका प्रभाव कम करने के लिए डॉक्टर उस स्थिति का इलाज करेंगे। हालांकि लगातार शोर के कारण भी यह विकार हो सकता है। ऐसे मामलों में टिनिटस के प्रभाव को कम करने के लिए रोगी को ऐसे शोर से दूर रहना चाहिए। अकसर टिनिटस किसी भी उपचार के बिना खुद दूर हो जाता है जबकि दूसरी बार अनिवार्य रूप से इस स्थिति का इलाज करने का कोई तरीका नहीं है। ऐसे मामलों में रोगी परामर्श समूहों की तलाश कर सकता है ताकि वे विकार से बेहतर तरीके से सामना कर सकें। कुछ दवाओं से भी फायदेमंद प्रभाव साबित हुए हैं।
टिनिटस से गूंजती थी कानों में आवाज
टिनिटस बीमारी के कारण चंद्र मोहन के कानों में दहाड़ जैसी आवाज आती थी। कान बजने व आवाज के कानों में गूंजते रहने से वह परेशान थे।