Himachal Tableau: लगातार तीसरे साल गणतंत्र दिवस की परेड में नहीं दिखेगी हिमाचल प्रदेश की झांकी, यह है वजह
Himachal Tableau इस वर्ष भी गणतंत्र दिवस परेड में हिमाचल प्रदेश की झांकी नजर नहीं आएगी। हिमाचल प्रदेश भाषा कला एवं संस्कृति विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मंत्रालय ने राज्य सरकार को समय पर सूचित नहीं किया गया था।
शिमला, राज्य ब्यूरो। Himachal Tableau, इस वर्ष भी गणतंत्र दिवस परेड में हिमाचल प्रदेश की झांकी नजर नहीं आएगी। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय इसे गंभीरता से नहीं लेता। मंत्रालय ने राज्य सरकार को समय पर सूचित नहीं किया गया था, जिससे हिमालय का ताज हिमाचल गणतंत्र परेड में शोभायमान होने से वंचित रह गया। हिमाचल प्रदेश भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग के अधिकारियों का कहना है कि झांकी की तैयारी के लिए समय नहीं मिल पाया। करीब एक माह पहले ही इसकी सूचना मिली थी। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा कि हिमाचल की झांकी परेड से बाहर हुई। अंतिम बार कुल्लू दशहरा विषय पर केंद्रित झांकी वर्ष 2020 में राजपथ पर नजर आई थी। उसके बाद केंद्रीय मंत्रालय को प्रदेश की ओर से भेजा विषय पसंद ही नहीं आया।
कलाकारों को मिलते हैं मात्र पांच हजार रुपये
गणतंत्र दिवस परेड पर झंकी प्रस्तुत करने के लिए राज्य सरकार द्वारा कलाकारों को न्योता दिया जाता है। वे चार-पांच विषय के साथ केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के समक्ष विषय रखे जाते हैं। प्रदेश में कलाकार को मात्र पांच हजार रुपये दिए जाने की बात सामने आई है। जबकि अन्य राज्यों में कलाकार पांच लाख रुपये तक लेते हैं।
धामी गोलीकांड अंतिम चरण में हुई बाहर
पिछले वर्ष गणतंत्र परेड के लिए हिमाचल की ओर से धामी गोलीकांड विषय पर केंद्रित झांकी अंतिम चरण में बाहर हुई थी। तब बिलासपुर में स्थापित हो रहे एम्स, सेब बागवानी क्षेत्र, पहाड़ी परंपरागत संस्कृति, आइआइटी मंडी, फार्मा उद्योग, चार मेडिकल कालेज और धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम को भी विकास यात्रा में शामिल किया गया था। लेकिन, सेब का रंग लाल करने की जगह गोल्डन करने का सुझाव दिया और अन्य सुझावों में हिमाचली युवती को परंपरागत परिधान में दिखाने को कहा गया था। करीब 15 वर्ष के दौरान प्रदेश की ओर से लाहुल-स्पीति, किन्नौर, चंबा की संस्कृति, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हिमाचल संबंधी यात्रा, अटल रोहतांग सुरंग, धामी गोलीकांड के विषय चयन प्रक्रिया से बाहर होते रहे हैं।
- हमें गणतंत्र दिवस परेड पर दिखाई जाने वाली राज्यों की झांकियों के संबंध सूचना में देरी से पता चली। इसके अतिरिक्त प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी थे, जिससे इस पर तत्परता से काम नहीं हो सका।
-पंकज ललित, निदेशक, हिमाचल प्रदेश भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग।