पांगी व चिड़गांव में खुलेंगे अग्निशमन केंद्र
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान दूरदराज और दुर्गम इलाकों में अग्निशम
राज्य ब्यूरो, शिमला : विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान दूरदराज और दुर्गम इलाकों में अग्निशमन केंद्र खोलने का मामला प्रमुखता से उठा। विधायक जिया लाल के मूल और विक्रम सिंह जरियाल व मोहन लाल ब्राक्टा के अनुपूरक सवाल पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि दूरदराज क्षेत्रों में प्राथमिकता के आधार पर अग्निशमन केंद्र खुलें। पांगी हो या चिड़गांव-डोडरा क्वार का इलाका, वहां खासकर सर्दियों में आग लगने की कई घटनाएं हुई हैं।
जिया लाल ने कहा कि उनके हलके के पांगी क्षेत्र में अधिकतर मकान लकड़ी के बने हैं। ऐसे में वहां बहुत अग्निकांड हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अग्निशमन केंद्र खोलने के लिए विभाग से रिपोर्ट आ गई है। अब सरकार के स्तर पर परीक्षण किया जा रहा है। जल्द ही क्षेत्र की यह मांग पूरी कर दी जाएगी।
वहीं कांग्रेस विधायक मोहन लाल ब्राक्टा ने कहा कि चिड़गांव ब्लाक में अग्निकांड की घटना पर रोहड़ू से फायर टेंडर आते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि रोहड़ू के चिड़गांव व डोडरा-क्वार क्षेत्र में भी आग की कई घटनाएं हुई हैं। वहां फायर स्टेशन खोलने को प्राथमिकता दी जाएगी। भाजपा विधायक विक्रम जरियाल ने मांग की कि हर हलके में एक अग्निशमन कार्यालय खोला जाए। सीएम ने कहा कि काफी इलाके ऐसे हैं, जहां फायर ब्रिगेड समय पर नहीं पहुंच पाती है। सरकार इस संबंध में रिपोर्ट मंगवाकर उचित कदम उठा रही है। सैंज आइटीआइ में नए ट्रेड शुरू होंगे
भाजपा विधायक सुरेंद्र शौरी के सैंज आइटीआइ के संबंध में पूछे सवाल पर तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. रामलाल मार्कंडेय ने कहा कि यह संस्थान का भवन तैयार होने पर नए ट्रेड शुरू किए जाएंगे। शौरी ने सैंज की आइटीआइ में मोटर मैकेनिक और वेल्डर के ट्रेड शुरू करने की मांग भी रखी थी। ----------
एफआरए के 150 मामले सुप्रीमकोर्ट में लंबित : पठानिया
राज्य ब्यूरो, शिमला : वनाधिकार कानून (एफआरए) के 150 मामले सुप्रीमकोर्ट में लंबित है, जबकि 120 मामलों में कोर्ट ने क्लीयरेंस दी है। यह बात वन मंत्री राकेश पठानिया ने विधायक विक्रम जरियाल के पूछे सवाल के जवाब में कही। जरयाल ने सरकार से जानना चाहा कि प्रदेश में एफआरए अनुमति और हरित कटान कब से बंद है। सरकार कब से एफआरए की आज्ञा देने पर विचार करती है। मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद राज्य सरकार ने 23 मार्च 1994 में हरे पेड के कटान पर प्रतिबंध लगाया गया था। प्रतिबंध पूर्व में सेब पेकिग की पेटियों के निर्माण के लिए पेड़ों के भारी कटान के मद्देनजर लगाया गया। एफआरए क्लीयरेंस पर लगाए प्रतिबंध को हटाने के लिए राज्य सरकार अब तक आठ बार सर्वोच्च न्यायालय में शपथ पत्र दायर कर चुकी है। अंतिम शपथ पत्र जून 2020 को दायर किया। विधायक आशा कुमारी ने कहा कि क्या सरकार जनहित से जुडे़ कार्यो के लिए सुप्रीम कोर्ट से एफआरए अनुमति के लिए विशेष छूट दिए जाने का आग्रह करेगी। इस पर मंत्री ने कहा कि वह इस वक्त मामले में कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। वह एक से डेढ़ माह में इस मामले को कोर्ट से निपटाना चाहते हैं।