शिमला में 641 में से 153 हाइड्रेंट्स खराब
जागरण संवाददाता शिमला शहर में त्योहारी सीजन चरम पर है। बाजार ग्राहकों के भरे पड़े
जागरण संवाददाता, शिमला : शहर में त्योहारी सीजन चरम पर है। बाजार ग्राहकों के भरे पड़े हैं। लकड़ी से बने भवनों की संख्या भी बाजारों में काफी रहती है। दूसरी तरफ दिवाली और दशहरा के दौरान बाजार में कई दुकानों में पटाखे भरे रहते हैं। शहर के बाजार में कारोबारियों की दुकानें सामान से भरी होती है। बाहर तक दुकानें सजी होती हैं। कई दुकानों के बाहर तहबाजारी बैठे होते हैं। ऐसे में बाजारों में अग्निशमन के वाहन का गुजरना मुश्किल होता है।
शहर को तीन हिस्सों में बांटा है। इसमें माल रोड क्षेत्र में 240 फायर हाइड्रेंट लगा रखे हैं। इसमें 177 ही काम कर रहे हैं। अन्य की हालत सही नहीं है। वहीं बालूगंज में 177 में 40 से अधिक खराब हैं। छोटा शिमला में 224 में 50 खराब पड़े हैं। यानी 641 हाइड्रेंट्स में से 153 खराब हैं।
भीड़भाड़ वाले बाजार में आग से लोगों को बचाने का एकमात्र रास्ता महज फायर हाइड्रेंट ही है। अंग्रेजों के समय में बसे शिमला को आग से बचाने के लिए पूरे शहर में फायर हाइड्रेंट सिस्टम बनाया था। इनमें पानी की सप्लाई देकर शहर को आग से बचाने की व्यवस्था की गई है। समय के साथ ये हाइड्रेंट बंद होते जा रहे हैं।
शहर में दिवाली सीजन के दौरान बाजार में थोक विक्रेताओं से लेकर आम कारोबारियों को दुकानों पर पटाखे स्टोर रहते हैं। इससे आगजनी की आशंका ओर ज्यादा बढ़ जाती है। राजधानी के माल रोड, लोअर बाजार से लेकर राम बाजार तक कई भवन आज भी लकड़ी के बने हैं। ऐसे भवनों को आग से ज्यादा खतरा रहता है। इतना खतरा होने के बावजूद जिला प्रशासन की ओर से इन फायर हाइड्रेंट्स को ठीक करवाने की जहमत नहीं उठाई जा रही है। आलम यह है कि शहर में लोगों को त्योहारी सीजन के दौरान रोजाना आग का डर सताता है।
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शहर में त्योहारी सीजन के दौरान आग से बाजारों को बचाने के लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों को व्यवस्था ठीक करने के निर्देश दे दिए हैं। जहां भी हाइड्रेंट ठीक किए जा सकते हैं, वहां पर विभाग को इन्हें सही करने के निर्देश जारी कर दिए जाएंगे।
-मनजीत शर्मा, एसडीएम शहरी