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नेताओं को मनमर्जी की पेंशन, कर्मचारियों को टेंशन

संसद सदस्य हों या फिर विधानसभा में एक दिन का विधायक। सांसद एक लाख से अधिक की पेंशन का हकदार हो जाता है

By JagranEdited By: Published: Thu, 31 Jan 2019 07:45 PM (IST)Updated: Thu, 31 Jan 2019 07:45 PM (IST)
नेताओं को मनमर्जी की पेंशन, कर्मचारियों को टेंशन
नेताओं को मनमर्जी की पेंशन, कर्मचारियों को टेंशन

राज्य ब्यूरो, शिमला : संसद सदस्य हों या फिर विधानसभा में एक दिन का विधायक। सांसद एक लाख से अधिक की पेंशन का हकदार हो जाता है और देश के किसी भी राज्य में विधानसभा का विधायक जीवनभर 80 हजार रुपये तक की पेंशन प्राप्त करता है। वहीं एक सरकारी कर्मचारी तीन दशक से अधिक समय तक सेवाएं देता है। ऐसे समर्पित सरकारी कर्मचारियों को शर्तो पर आधारित पेंशन मिलती है। केंद्रीय कर्मचारी कर में वार्षिक छूट पांच लाख रुपये तक बढ़ाने की बजट में घोषणा चाहते हैं। दूसरी ओर बचत राशि को तीन लाख रुपये तक चाहते हैं। अधिकांश केंद्रीय विभागों में कर्मचारियों की भर्ती नहीं हो रही है। परिणामस्वरूप सामान्य कामकाज संचालित करना संभव नहीं हो रहा। प्रदेश में स्थित केंद्रीय कर्मचारी राजग सरकार के अंतिम बजट में राहत चाहते हैं, ताकि कर्मचारी सौहार्दपूर्ण माहौल में काम कर सकें। हिमाचल में 36 केंद्रीय कार्यालयों में 22 हजार से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। ------

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आयकर की न्यूनतम सीमा पांच लाख रुपये तक बढ़ाई जानी चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ ¨सह की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय कमेटी में वित्त मंत्री और रेल मंत्री भी शामिल थे। इस बजट में फिटमेंट फार्मूले के स्लैब को 2.86 फीसद से बढ़ाकर तीन फीसद किया जाए। नेता चाहे एक दिन का हो, वह मोटी पेंशन का हकदार होता है। जबकि कर्मचारी पेंशन के जायज लाभ से वंचित है।

- हरीश जुल्का, महासचिव केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति शिमला। ------

सातवें वेतन आयोग में विसंगतियां हैं। कर्मचारी चाहते हैं कि 18 हजार न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर 26 हजार रुपये किया जाए। फिटमेंट फार्मूले को भी संशोधित करने की जरूरत है। केंद्रीय कर्मचारियों के हितों को नजरअंदाज किया गया है। जिस कार्यालय में देखें कर्मचारी कम होते जा रहे हैं। ऐसे में काम करना मुश्किल हो गया है।

- बलबीर सूरी, हिमाचल महालेखाकार कर्मचारी। -------

कर्मचारी वर्ग की सबसे बड़ी उपेक्षा है कि कर्मचारी नेशनल पेंशन स्कीम में रखे हुए हैं। मैं केंद्र सरकार की इस पेंशन योजना को नो पेंशन स्कीम कहता हूं। दूसरी ओर एक सीएम या एक दिन का विधायक 80 हजार पेंशन प्राप्त करने लगता है। कर्मचारी आयकर देता है, आयकर के मामले में पारदर्शिता होनी चाहिए कि यह पैसा खर्च कहां हो रहा है।

- हेमेंद्र भारद्वाज, प्रेस सचिव, केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति शिमला। --------

केंद्रीय कर्मचारियों की मांग है कि राष्ट्र के संसाधनों का वितरण समान होना चाहिए। अभी हो यह रहा है कि देश के एक फीसद अमीर वर्ग के पास 99 फीसद संसाधन हैं। गरीब आदमी के पास दो वक्त की रोटी खाने लायक पैसा नहीं होता। कर्मचारी सरकार की रीढ़ है, यह बात केंद्र सरकार को समझनी होगी।

- शैलेंद्र कंवर, डाक कर्मचारी। -------

हम तो पहले से नई पेंशन योजना का बहिष्कार कर रहे हैं। डाक विभाग खाली हो चुका है, काम करने वाला कोई नहीं है। विभाग में खाली पद भरने की दिशा में सरकार को बजट में प्रावधान करना चाहिए। इतना वेतन हाथ में नहीं आता है, जितना कर के माध्यम से वापस चला जाता है। बजट में इसका समाधान होना जरूरी है।

- पुरुषोत्तम चौहान, सचिव, अखिल भारतीय डाक कर्मचारी संघ। -----------

हमें तो एक साथ कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। मौजूदा राजग सरकार का यह अंतिम बजट है। ऐसे में हर केंद्रीय कर्मचारी कर में छूट की सीमा को पांच लाख रुपये तक चाहता है। कई बरसों से पद खाली पड़े हुए हैं, जिन्हें भरने का प्रावधान होना चाहिए। नई पेंशन योजना से कर्मचारी को किसी प्रकार का लाभ नहीं हो रहा है। इसकी जगह पुरानी पेंशन योजना लागू होनी चाहिए।

- सुरेंद्र कुमार, अध्यक्ष अखिल भारतीय डाक कर्मचारी संघ।


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