प्रदेश को केंद्र से मिला 600 करोड़ रुपये का कर्ज
कोरोनाकाल के दौरान केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश को वस्तु एवं सेवाक
राज्य ब्यूरो, शिमला : कोरोनाकाल के दौरान केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश को वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) मुआवजे के एवज में 1717 करोड़ रुपये का कर्ज लेने की छूट दी है। इसके तहत प्रदेश सरकार को 600 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं। शेष राशि किस्तों में सरकार के खजाने में जमा होती रहेगी। इस मुआवजा राशि का प्रदेश सरकार के लिए बड़ा लाभ यह भी है कि कर्ज का ब्याज व कर्ज चुकाने की चिंता नहीं होगी। केंद्र सरकार ही कर्ज चुकाएगी।
वर्ष 2019 की तुलना में इस बार जीएसटी मुआवजे के तौर पर प्रदेश को 1877 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। केंद्र सरकार की ओर से सभी करों को एक छत के नीचे यानि जीएसटी के दायरे में लाए जाने के बाद से प्रदेश सरकार के लिए आय का एकमात्र सहारा जीएसटी रह गया है। इसके अतिरिक्त पेट्रो पदार्थो पर सरकार वैट लगाकर आमदनी जुटा सकती है। शराब की बिक्री पर राज्य को कर लगाने की पूरी छूट है, लेकिन पड़ोसी राज्यों में सस्ती शराब व पेट्रोल-डीजल को भी ध्यान में रखना जरूरी है। ऐसा न करने पर सीमेंट की ढुलाई करने वाले पच्चीस हजार ट्रक प्रदेश के बाहर से डीजल भरवाएंगे। इसी तरह अवैध शराब की बिक्री के कारण भी सरकार के खजाने को नुकसान पहुंचता है। पुरानी पन विद्युत परियोजनाओं में 12 फीसद मुफ्त विद्युत राज्य के लिए आय का बड़ा साधन थी, लेकिन समय के साथ सौर ऊर्जा व सोलर ऊर्जा स्रोतों से पन विद्युत प्रोजेक्ट कमाऊपूत नहीं रहे।
अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त एवं योजना प्रबोध सक्सेना का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष जैसे-तैसे गुजर जाएगा। कोरोना के कारण अगला वित्त वर्ष अधिक चुनौतीपूर्ण होने वाला है। जीएसटी में कर एकत्रीकरण कम होने की स्थिति में राज्यों को मिलने वाला हिस्सा भी सीमित होगा।
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कोरोना ने हिला दी अर्थव्यवस्था
कोरोना संकट आने के बाद प्रदेश की अर्थव्यवस्था को जोर का झटका लगा है। मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान पहली तिमाही में 23 फीसद का नुकसान उठाना पड़ा। दूसरी तिमाही में राजस्व प्राप्तियों में सुधार आया। राज्य के अपने आय के साधन दस हजार करोड़ तक सीमित हैं। सरकार मौजूदा स्थिति में अधिक आय जुटाने में असमर्थ है।
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जुलाई 2022 के बाद गैप फंडिंग नहीं होगी
बड़े राज्य आज भी छोटे और आर्थिक दृष्टि से कमजोर राज्यों की वित्तीय मदद करने पर सवाल उठाते हैं। ऐसे में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को जुलाई 2022 के बाद अभूतपूर्व संकट से गुजरना पड़ेगा। केंद्र सरकार जून 2022 तक जीएसटी के एवज में होने वाले आर्थिक नुकसान की राज्यों को भरपाई करेगी। उसके बाद राज्यों को अपने पैरों पर खड़ा होना होगा। जीएसटी लागू करने के बाद पांच वर्ष तक केंद्र सरकार ने राज्यों की गैप फंडिंग करने का निर्णय लिया था।