Himachal News: शहर में 17 कारोबारियों के कटेंगे बिजली पानी के कनेक्शन, नगर निगम का नोटिस जारी
निगम लंबे समय से इन कारोबारियों को नोटिस जारी कर रहा था। शहर में कूड़े की फीस के रूप में निगम के करीब 11 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं। ऐसे में अब निगम को सैहब कर्मचारियों का वेतन देने तक की परेशानी आने लगी है।
शिमला, जागरण संवाददाता। शिमला शहर में जिन लोगों ने कूड़े बिल की अदायगी नहीं की है। उनके खिलाफ बिजली पानी काटने की प्रक्रिया नगर निगम प्रशासन ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। पहले चरण में शहर के 17 कारोबारियों के बिजली पानी के कनेक्शन काटने के आदेश जारी कर दिए गए।
इसमें ढली के रावा दास, कुसुम्पटी के अशोक कुमार, खलीणी के मनोरज कुमार, न्यू शिमला के भूपेश जनार्था, विकास नगर के इंद्र सिंह, मेहली के मनोज कुमार, छोटा शिमला के अशोक कुमार, संजौली के जेपी मेडिकल स्टोर, संजौली के हरी मेडिकल स्टोर, संजौली के रायल आटो शाप, ढली के सनराइज कैमिस्ट शाप, ढली के आशीष चिकन शाप, ढली के कमल, रिंकू राम गोपालऔर हरी राम फास्ट फूड का नाम शामिल है।
नगर निगम प्रशासन की ओर से ये कार्रवाई एचपीएमसी एक्ट की धारा 264(डी) सॉलि़ड वेस्ट रूल्स 2016 के नियम 4(3) और डोर टू डोर गार्बेज कलेक्शन एंड डिस्पोजल बाइलॉज 2018 के बाइलॉज 11(II) के तहत अमल में लाई है। बता दें कि निगम लंबे समय से इन कारोबारियों को नोटिस जारी कर रहा था। शहर में कूड़े की फीस के रूप में निगम के करीब 11 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं। ऐसे में अब निगम को सैहब कर्मचारियों का वेतन देने तक की परेशानी आने लगी है। सैहब सोसायटी की आय आधे से भी कम रह गई है।
जबकि जब सैहब सोसायटी का गठन हुआ था तो शर्त लगाई गई थी कि सैहब सोसायटी अपना खर्च स्वयं वहन करेगी। लेकिन निगम को अब अपने खाते से सैहब कर्मचारियों के वेतन व भत्ते अदा करने पड़ रहे हैं। निगम के अतिरिक्त आयुक्त बीआर शर्मा ने बताया कि कूड़े की फीस न देने वाले के बिजली पानी के कनेक्शन काटने के आदेश जारी किए हैं। निगम ने दी है 15 फीसद छूटनगर निगम ने कूड़े का बिल एक साल का एडवांस जमा करवाने पर 10 फीसद की छूट दी है।
वहीं ऑनलाइन पेमेंट पर पांच फीसद की छूट दी गई है। 15 फीसद छूट देने के बावजूद निगम के पास कूड़े के बिलों की कलेक्शन दिनोंदिन घटती जा रही है। दो माह पहले यह सात करोड़ थी जो अब 11 करोड़ तक पहुंच गई है। पैसे लेने के लिए निगम कर चुका है कई तरह से प्रयासनगर निगम ने सुपरवाइजरों को आदेश दिए हैं कि डिफाल्टरों से रिकवरी करें। घर-घर जाकर लोगों को बिल जमा करवाने के लिए प्रेरित करें। जो लोग पैसे देने से इंकार करता है उसकी एक सूची बनाकर निगम को सौंपें। साथ ही सैहब के कर्मचारियों को इंसेटिव तक देने की घोषणा की, लेकिन राहत के नाम पर कुछ हासिल नहीं हो सका है।