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कालीबाड़ी मंदिर में दुर्गा पूजा के लिए बनने लगी मूर्तियां

शिमला के कालीबाड़ी मंदिर में मां दुर्गा की मूर्तियों को बनाने के लिए कारीगर पहुंच गए हैं। कालीबाड़ी मंदिर में नवरात्र या दुर्गा पूजा बंगाली परंपरागत तरीके से की जाती है।

By Edited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 09:35 PM (IST)Updated: Thu, 30 Aug 2018 03:21 PM (IST)
कालीबाड़ी मंदिर में दुर्गा पूजा के लिए बनने लगी मूर्तियां
कालीबाड़ी मंदिर में दुर्गा पूजा के लिए बनने लगी मूर्तियां

शिमला, जेएनएन। शारदीय नवरात्र में अभी डेढ़ माह शेष है, लेकिन राजधानी शिमला के कालीबाड़ी मंदिर में मां दुर्गा की मूर्तियों को बनाने के लिए दो कारीगर पहुंच गए हैं। कालीबाड़ी मंदिर के बंगाली ट्रस्ट ने मूर्ति निर्माण के लिए पश्चिम बंगाल के हल्दिया जिले से मूर्तिकार कमल व दीपू को बुलाया गया है। उन्होंने रक्षाबंधन यानी पूर्णिमा के दिन से मां दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, गणेश व कार्तिक की मूर्तियों को आकार देना प्रारंभ कर दिया है।

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मूर्ति निर्माण की सामग्री भी कोलकाता से ही लाई गई है। इन मूर्तियों को धान की पराली व चिकनी मिट्टी से बनाया जा रहा है, जबकि मां दुर्गा परिवार के मुख के लिए गंगा नदी से विशेष मिट्टी लाई गई है। इसी प्रथा का अनुसरण कालीबाड़ी मंदिर में भी हर वर्ष किया जाता है। कालीबाड़ी मंदिर में नवरात्र या दुर्गा पूजा बंगाली परंपरागत तरीके से की जाती है। मूर्तिकार कमल चित्रकार ने बताया कि बंगाल में मान्यता है कि हर वर्ष मां दुर्गा एक अलग सवारी में आती हैं। मां हाथी, घोड़े, पालकी व नाव पर सवार होकर आती हैं और यह सभी सवारिया शुभ-अशुभ की सूचक मानी जाती हैं। हाथी व घोड़ा शुभ, सुख-शांति और धन लाभ का प्रतीक माने जाते हैं तो पालकी व नाव अमंगल व रोगों के प्रतीक हैं। इसी मान्यता व बंगाली पंचाग के अनुसार इस बार मां दुर्गा नाव पर आ रही हैं, जो कि अत्यधिक बारिश व बाढ़ की सूचक मानी जाती है।

दीपू चित्रकार ने बताया कि गंगा नदी से मंगलवार को करीब 20 बैग बाली मिट्टी के आ गए हैं। धान की पराली से मूर्ति का प्रारंभिक ढाचा बनाया गया है। उसके बाद चिकनी मिट्टी से शरीर बनाया जा रहा है। गंगा नदी की मिट्टी से मुख का निर्माण किया जाएगा। इसके बाद मूर्ति को सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है, बाकी साज-सज्जा का कार्य प्रथम नवरात्र में संपन्न किया जाएगा।

हर्षोल्लास से होगी दुर्गा पूजा

कालीबाड़ी मंदिर के सचिव डॉ. कलोल प्रमानिक ने बताया कि मूर्तियों के निर्माण के लिए बंगाली ट्रस्ट ने पश्चिम बंगाल से मूर्तिकार बुलाए हैं। इनके खाने-पीने व रहने व आने-जाने का सारा खर्च बंगाली ट्रस्ट द्वारा ही किया जाता है। हर वर्ष की तरह मां दुर्गा पूजा का आयोजन बड़े हर्षोल्लास के साथ किया जाएगा।


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