गोलमाल की नर्सरी में सूखे इटली के पौधे
हिमाचल प्रदेश में पिछले दो साल से सेब के पौधों की खरीद में जारी गोलमाल इस साल भी जारी रहा।
शिमला, प्रकाश भारद्वाज। हिमाचल प्रदेश में पिछले दो साल से सेब के पौधों की खरीद में जारी घपलेबाजी इस वर्ष भी जारी रही। एक हजार करोड़ रुपये से अधिक के प्रोजेक्ट में अधिकारियों ने बागवानों के हितों का ध्यान नहीं रखा। प्रोजेक्ट की खरीद कमेटी के सदस्यों ने भी विदेश दौरे करने के साथ मौज की। हालत यह है कि इटली से सेब के 1.40 लाख पौधे आए। इनमें से 60 हजार पौधे सूखे हैं।
बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी की नर्सरियों में सेब के सूखे पौधों से विश्व बैंक से प्राप्त प्रोजेक्ट बजट की बर्बादी नजर आ रही है। बागवानी प्रोजेक्ट को धरातल पर लागू करने के लिए सौ करोड़ की कंसलटेंसी का प्रावधान किया गया। बागवानी प्रोजेक्ट के हर कदम पर घपलेबाजी सामने आई है। इस वर्ष अभी तक आए सेब के पौधों की स्थिति देखने के लिए बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर अचानक नौणी विवि पहुंचे जहां इटली से आए सेब के पौधों में से आधे से अधिक सूखे खेतों में रोपे गए हैं।
उन्होंने कहा कि बागवानी प्रोजेक्ट के तहत सेब के पौधों की खरीद की समीक्षा 20 अगस्त को सचिवालय में होगी। इस समीक्षा बैठक में खरीद कमेटी के सदस्यों के साथ बागवानी विशेषज्ञों पर भी कार्रवाई हो सकती है। उपयोगी नहीं हैं पौधे खरीद ऑर्डर के तहत इस साल मार्च में परियोजना निदेशक के निर्देशानुसार इटली से सेब के 1.40 लाख पौधे मंगवाए गए। इन पौधों की आयु दो वर्ष से अधिक है और वे बागवानी उत्पादकता के हिसाब से उपयोगी नहीं हैं। लेकिन जून से नालागढ़ नर्सरी से पौधे नौणी पहुंचते रहे। यहां पर वैज्ञानिकों ने सेब के सूखे पौधे भी रोप दिए। इनमें से सेब के 60 हजार पौधे नर्सरियों में दूसरे पौधों को भी संक्रमित कर सकते हैं। प्रोजेक्ट के तहत अब तक सेब के 7.50 लाख पौधे आ चुके हैं। अक्टूबर में खरीद क्यों नहीं अहम सवाल यह है कि सेब के पौधे रोपने का सही समय सर्दियों में है। ऐसे में किन बागवानी विशेषज्ञों की राय के आधार पर मार्च में पौधों खरीदने का निर्णय लिया गया। पौधों की खरीद अक्टूबर में क्यों नहीं हुई? तीन वर्ष से हर बार सेब के पौधे खरीदने का ऑर्डर अधिकारियों ने मार्च में दिया।
सेब के जो पौधे हमें मिले, उनकी उम्र दो साल से अधिक है। ये पौधे अब उत्पादकता के लिहाज से अधिक उपयोगी नहीं हैं। विवि केवल सेब के पौधों को नर्सरियों में लगाने तक सीमित है। प्रो. जेएस चंदेल, फल विशेषज्ञ हमारे पास जो सेब के पौधे आए, उन्हें नर्सरी में रोपा गया। इनमें से बड़ी संख्या में पौधे सूखे आए हैं।
डॉ. एचसी शर्मा, कुलपति, बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी।
आधे सूखे पौधों पर लगाएं लाल टेप जो पौधे आधे सूखे हैं, उन पर भी लाल टेप लगाएं ताकि कोई खराब पौधा बागवानों को वितरीत न हो। बीस अगस्त को होने वाली समीक्षा बैठक में संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होगी।
महेंद्र सिंह ठाकुर, बागवानी मंत्री