कोडवर्ड बोलो..नशा हाजिर
नशे के सौदागरों की शिक्षण संस्थानों तक गहरी पैठ हो गई है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : नशे के सौदागरों की शिक्षण संस्थानों तक गहरी पैठ हो गई है। इनके निशाने पर किशोर, किशोरियां और युवा वर्ग है। उन्हें सिंथेटिक ड्रग्स का नशा बांटा जा रहा है। स्कूलों, कॉलेजों और उच्च शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थी नशा तस्करों के लिए साफ्ट टारगेट हैं। इनका नेटवर्क इतना बड़ा है कि इसे पूरी तरह से भेदने में पुलिस तंत्र भी नाकाम रहा है। इससे अभिभावकों की ¨चताएं बढ़ रही हैं। जब तक उन्हें पता चलता है कि उनके बच्चे नशे के सौदागरों की संपर्क में आ चुके हैं तब तक काफी देर हो चुकी होती है।
हर मां-बाप के सपने होते हैं कि उनका बेटा, बेटी अच्छी शिक्षा लेकर नौकरी हासिल करे। लेकिन नशे की लत उनके सपनों पर पानी फेर रही है। करियर बनाने की बजाय उन्हें बच्चों को अस्पतालों में ले जाना पड़ता है या निजी नशा निवारण केंद्रों में। ऐसा नहीं है कि पुलिस के पास तस्करों की सूचनाएं नहीं रहती हैं, पर उसके हत्थे बड़े सरगना नहीं चढ़ पाते हैं। सबसे बड़ा खतरा उन बच्चों का रहता है जो अभिभावकों से दूर रहते हैं। पुलिस की मानें तो तस्करों के निशाने पर ज्यादातर ऐसे ही युवा होते हैं। एक बार नशा चखा दिया तो फिर वह खुद मांगने लगते हैं। नशे की सप्लाई करने वाले फोन पर बाकायदा कोडवर्ड में बातें करते हैं। जैसे चिट्टे को म्याऊं-म्याऊं का कोड पकड़ा गया। वैसे ही अलग-अलग कोड से नशे को बेचा जा रहा है। जैसे ही पुराने कोड की भनक पुलिस को लगती है, नशा माफिया इसे बदल देता है।
सादी वर्दी में तैनात रहते हैं पुलिस कर्मी
राज्य पुलिस का दावा है कि शिक्षण संस्थानों के बाहर संदिग्धों पर पैनी नजर रखी जाती है। इनके लिए सीआइडी के जासूस तैनात रहते हैं। जिलों की सुरक्षा ब्रांच से भी सादी वर्दी में पुलिस कर्मी इन संस्थानों के बाहर खुफिया पहरा लगाते हैं। ये किसी की पहचान में नहीं आ पाते हैं। बशर्ते सूचना कहीं से लीक न कर दी गई हो अथवा कोई संबंधित पुलिस वाले को व्यक्तिगत जानता हो। जानकारों का कहना है कि समाज को भी चौकस रहना होगा। पुलिस की तो पैनी निगाह लगी ही रहती है, क्योंकि इस सामाजिक बुराई से अकेले पुलिस ही नहीं लड़ सकती है। इसके लिए सामाजिक संगठनों, स्वयंसेवी संगठनों, राजनीतिक दलों, बुद्धिजीवियों को भी आगे आना होगा।
लाखों बच्चों को किया जागरूक
हिमाचल पुलिस ने नशे के खिलाफ मुहिम चला रखी है। अब तक पुलिस साढ़े तीन लाख से अधिक बच्चों तक पहुंची है। शिक्षण संस्थानों में छात्रों को नशे से दूर रहने का पाठ पढ़ाया जाता है। इनमें पुलिस की पाठशाला लगती है। इनमें अधिकारी हिमाचल और देश के हालात से अवगत करवाते हैं। इस वर्ष भी यह अभियान जारी रहेगा।
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शिक्षण संस्थाओं को नशामुक्त करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। पुलिस कर्मियों को सादी वर्दी में इनके बाहर तैनात किया गया है। नशा बेचने की पुख्ता सूचना मिलने पर कानूनी कार्रवाई की जाती है। छात्रों को जागरूक करने के लिए मुहिम चला रखी है।
आसिफ जलाल, डीआइजी, साउथ रेंज
नशाखोरी के खिलाफ युवाओं को जागरूक करने के लिए अभियान चलाए गए हैं। थानों में नशा निवारण समितियां गठित की गई हैं। ये भी शिक्षण संस्थानों के बारे में भी खुफिया जानकारी एकत्र करती हैं। इनके आधार पर पुलिस तस्करों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करती है। एक ओर जागरूकता मुहिम तो दूसरी ओर कानूनी कार्रवाई की जाती है। नशे जैसी सामाजिक बुराई जनसहयोग से ही दूर हो सकती है।
एसआर मरडी, डीजीपी, हिमाचल प्रदेश