'चवन्नी' से की दिखावटी व खोखली करुणा पर चोट
नाट्य संस्था समन्वय की ओर से बुधवार को गेयटी थियेटर में चवन्नी व श्
जागरण संवाददाता, शिमला : नाट्य संस्था समन्वय की ओर से बुधवार को गेयटी थियेटर में चवन्नी व शटराला नाटक का मंचन किया समन्वय संस्था हिमाचली लोकनाट्य करियाला शैली में लोक नाटकों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत कर अपनी अलग पहचान बना चुकी है। वहीं, यह संस्था बच्चों के लिए हर वर्ष सर्दियों में बाल नाट्य शिविर का आयोजन भी करती है, ताकि नौनिहाल नाट्य कला को सीख सकें।
इस वर्ष कुसुम्पटी में एक से 20 जनवरी तक बालनट्य शिविर का आयोजन समन्वय ने संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली के सहयोग से किया। शिविर में बच्चों को अभिनय, वेशभूषा, डिजाइन, उच्चारण, योग संगीत, नृत्य आदि कला से जुड़ी विधाओं की जानकारी दी। शिविर में बच्चों को मृदुला श्रीवास्तव की कहानी पर आधारित चवन्नी नाटक को तैयार किया गया, जिसका मंचन धीरेंद्र सिंह रावत के निर्देशन में बुधवार को गेयटी में किया गया।
चवन्नी बाल शोषण पर आधारित मृदुला श्रीवास्तव की एक मार्मिक कहानी है, जिसका नाट्य रूपांतरण भूपेंद्र शर्मा ने किया है। च्वन्नी सारांश नाटक का मुख्य पात्र है जो बोल नहीं पाता और कुपोषण की वजह से उम्र से ज्यादा दिखाई देता है। बचपन में उसकी मा अपने गूंगे बच्चे को मरने से पहले लाला को सौंप जाती है। लाला की लताड़ के बीच संघर्ष करते चवन्नी को देख सभी दया दिखाते हैं और अपने-अपने साथ ले चलने को प्रलोभन भी देते हैं। इस बीच बाल मन की उसकी कल्पनाओं में वह कभी स्कूल में कभी मा के आंचल में तो कभी और बच्चों के साथ स्वयं को खेलते हुए पाता है। नाटक से इंसान के भीतर दिखावटी व खोखली करूणा पर चोट की गई है। दूसरा नाटक शटराला भूपेंद्र शर्मा के निर्देशन में खेला गया।