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हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के इन चार जंगलों का देवदार का बीज सबसे बेहतर, विज्ञानियों ने किया खुलासा

Best Devdar Seeds पहाड़ की पहचान देवदार के बेहतर किस्म के पौधे तैयार करने के लिए हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के चार जंगलों के बीज सबसे बेहतर पाए गए हैं।

By Edited By: Published: Sat, 18 Jul 2020 10:55 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jul 2020 12:37 PM (IST)
हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के इन चार जंगलों का देवदार का बीज सबसे बेहतर, विज्ञानियों ने किया खुलासा
हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के इन चार जंगलों का देवदार का बीज सबसे बेहतर, विज्ञानियों ने किया खुलासा

शिमला, रोहित नागपाल। पहाड़ की पहचान देवदार के बेहतर किस्म के पौधे तैयार करने के लिए हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के चार जंगलों के बीज सबसे बेहतर पाए गए हैं। यहां के बीज से ही नर्सरी में पौधे तैयार किए जाएं तो बेहतर इमारती लकड़ी होगी और पौधों की बढ़ोतरी व आयु ज्यादा हो सकती है। हिमालयन वन अनुसंधान केंद्र (एचएफआरआइ) के शिमला के पंथाघाटी स्थित केंद्र के विज्ञानियों ने उत्तराखंड से लेकर जम्मू-कश्मीर के विज्ञानियों के साथ मिलकर सर्वे किया है। इसमें तीनों ही राज्यों के देवदार के जंगलों को खंगाला गया। टीम ने लगभग एक साल तक इस पर शोध किया। इसके बाद हिमाचल के शिमला जिले के चियोग और ननखड़ी जंगल को बेहतर पाया है। इसी तरह से जम्मू-कश्मीर में किश्तवाड़ और भद्रवाह के जंगल में भी देवदार के बीजों की क्वालिटी बेहतर पाई गई है।

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केंद्र और प्रदेश सरकारें लेंगी फैसला

अब इस रिपोर्ट को केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकारों को भेजा जाना है। इसके बाद देवदार की नर्सरी तैयार करने के लिए इस तरह के बीज का इस्तेमाल किए जाने का फैसला प्रदेश सरकारें अपने स्तर पर ले सकती हैं। कुछ मामलों में केंद्र सरकार भी निर्देश जारी कर सकती है।

देवदार शिमला की पहचान

शिमला देवदार के जंगलों के लिए पूरे देश में जाना जाता है। राजधानी शिमला में लोग ऐतिहासिक भवनों के साथ देवदार के जंगल देखने के लिए पहुंचते हैं। देवदार सामान्य तौर पर समुद्र तल से 6000 फीट की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगता है। राजधानी शिमला की समुद्र तल से ऊंचाई 7467 फीट है।

देवदार की लकड़ी पहली पसंद

हिमाचल में आज भी देवदार की लकड़ी लोगों की पहली पसंद है। इसकी कीमत ज्यादा होने के कारण शहरी क्षेत्रों में अब दूसरी लकड़ी का इस्तेमाल होता है, लेकिन गांव में लोग घर बनाने में देवदार को ही पसंद करते हैं। गांव में लोगों को सरकारी स्कीम में सस्ती लकड़ी मिल जाती है। 

टीम में 24 विज्ञानी शमिल

एचएफआरआइ के विज्ञानी डॉ. राजेश ने बताया कि इस सर्वे में 24 से अधिक विज्ञानियों की टीम ने एक साल तक जंगलों में सर्वे किया है। इसमें ये तथ्य सामने आए हैं। अब इस रिपोर्ट को सरकार के पास भेजा जाना प्रस्तावित है।


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