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हिमाचल में रोप-वे निर्माण में देर करने वाली कंपनियां तलब

delay in ropeway construction Himachal. हिमाचल सरकार ने रोप-वे निर्माण में विलंब करने वाली कंपनियों को तलब किया है।

By Edited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 10:06 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 11:07 AM (IST)
हिमाचल में रोप-वे निर्माण में देर करने वाली कंपनियां तलब

शिमला, राज्य ब्यूरो। जाखू रोप-वे बनने में डेढ़ दशक लग गया। टूटीेकंडी से यूएस क्लब तक रोप-वे बनना अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाया है। प्रदेश सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तत्पर है। लेकिन चार रोप-वे परियोजनाओं का निर्माण करने के लिए औपचारिकताएं पूरी करने वाली कंपनियों में से दो ने हाथ पीछे खींचने शुरू कर दिए हैं। इस कारण शिकारी देवी रोप-वे के साथ-साथ शिमला रोप-वे का मामला अधर में लटक सकता है। कारण यह है कि दोनों कंपनिया अब सालाना एक करोड़ रुपये लाइसेंस फीस देने की स्थिति में नहीं हैं।

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प्रदेश सरकार पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कटिबद्ध है। सरकार ने रोप-वे निर्माण में देरी करने वाली कंपनियां तलब की हैं। रोप-वे निर्माण के लिए आगे आई कंपनियों के रवैये को देखते हुए दस दिनों के भीतर सचिवालय में बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में आनाकानी करने वाली दोनों कंपनियों को मुख्य सचिव बीके अग्रवाल के समक्ष जवाब देना होगा। प्रदेश सरकार ने कुछ समय पहले प्रदेश में चार रोप-वे परियोजनाओं को स्वीकृति दी थी। लेकिन दो रोप-वे के मामले में संबंधित कंपनियों ने अभी तक निर्माण से संबंधित कोई कदम नहीं उठाया है। सरकार ने आनंदपुर साहिब से श्री नयनादेवी रोव-वे को लाइसेंस फीस से अलग रखने का निर्णय लिया है।

प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में नई रोप-वे परियोजनाओं को लेकर सरकार ने निर्णय लिया है कि निर्माण कंपनियों को लाइसेंस फीस नहीं देनी पड़ेगी। एक करोड़ रुपये देने होंगे हर साल रोप-वे बनाने वाली कंपनियों को हर साल प्रदेश सरकार को एक करोड़ रुपये लाइसेंस फीस चुकानी होगी। ज्ञात हुआ है कि बिना किसी आकलन के कंपनियों ने एक करोड़ रुपये लाइसेंस फीस देना माना है। लेकिन अब उनके लिए सरकार को यह फीस चुकाना संभव नहीं हो रहा है। कई दूसरी कंपनियों ने 80 लाख रुपये लाइसेंस फीस देना स्वीकारा था।

समय पर शुरू करें कार्य जिन कंपनियों को रोप-वे परियोजनाएं स्वीकृत हुई हैं, उन्हें चाहिए कि समय पर निर्माण कार्य शुरू करे। लेकिन अभी तक दो रोप-वे परियोजनाओं में किसी प्रकार की प्रगति नहीं हुई है। ऐसे में उन कंपनियों को सरकार को जवाब देना होगा कि निर्माण में देरी क्यों हो रही है। जिन कंपनियों को रोप-वे दिए गए हैं, उन्हें तय समय के भीतर इन्हें बनाकर देना होगा और लाइसेंस फीस भी चुकानी होगी।

- राम सुभग सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव, पर्यटन


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