निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग अध्यक्ष के फैसले निरस्त
राज्य सरकार ने निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग पर एक और शिकंजा कसा है। सरकार ने आयोग के अध्यक्ष डॉ. केके कटोच के फैसलों को निरस्त कर दिया है। जबकि आयोग की सचिव पूनम की वित्तीय शक्तियों को बहाल कर दिया है। कटोच ने उकनी शक्तियां भी छीन ली थीं। अब सदस्य डॉ. एसपी कत्याल को भी विश्वास में लेना होगा। इस संस्थान में सरकार के आदेश चलेंगे। इस सबंध में प्रधान सचिव उच्चतर शिक्षा केके पंत ने शनिवार को कड़े आदेश जारी किए हैं। इन आदेशों के अनुसार अध्यक्ष अकेला संस्थान नहीं है। उन्हें सदस्य सचिव की शक्तियों में अतिक्रमण करने को कोई अधिकार नहीं है। अब कर्मचारियों को भी वेतन मिल सकेगा। सरकार ने आठ कर्मचारियों को बहाल कर दिया था। लेकिन कटोच मनमानी कर रहे थे। इन कर्मियों को पिछले महीने का वेतन नहीं मिला था।
राज्य ब्यूरो, शिमला : राज्य सरकार ने निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग पर शिकंजा कसा है। सरकार ने आयोग के अध्यक्ष डॉ. केके कटोच के फैसलों को निरस्त कर दिया है। आयोग की सचिव पूनम की वित्तीय शक्तियों को बहाल कर दिया गया है। कटोच ने उनकी शक्तियां भी छीन ली थीं। अब सदस्य डॉ. एसपी कत्याल को भी विश्वास में लेना होगा। इस संस्थान में सरकार के आदेश चलेंगे। इस सबंध में प्रधान सचिव (उच्चतर शिक्षा) केके पंत ने शनिवार को आदेश जारी किए हैं।
आदेश के अनुसार अध्यक्ष अकेले संस्थान नहीं हैं। उन्हें सदस्य व सचिव की शक्तियों में अतिक्रमण करने का कोई अधिकार नहीं है। अब कर्मचारियों को भी वेतन मिल सकेगा। सरकार ने आठ कर्मचारियों को बहाल कर दिया था लेकिन कटोच मनमानी कर रहे थे। इन कर्मियों को पिछले महीने का वेतन नहीं मिला था। अनियमितताओं को उजागर करने पर पहले चार्जशीट किया गया और फिर नौकरी से निकाल दिया गया था। कुछ कर्मियों को डिमोट किया गया था।
डॉ. केके कटोच के खिलाफ पहले ही सरकार ने नियमित जांच बैठाई है। सरकार ने प्रधान सचिव विधि को जांच अधिकारी लगाया है। शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक हितेश आजाद प्रेजेंटिग ऑफिसर बनाए गए हैं। जांच जल्द पूरी करनी होगी। इसमें भी आरोप सही पाए गए तो फिर उस सूरत में न केवल वह चार्जशीट होंगे बल्कि सस्पेंड भी हो सकेंगे। विभागीय जांच में कटोच पर लगे आरोप सही साबित हो चुके हैं। यह जांच प्रारंभिक शिक्षा के संयुक्त निदेशक हितेश आजाद ने की थी। इसके बाद भी कई कर्मियों को नौकरी से निकाला गया व कई कर्मचारियों को चार्जशीट किया गया। सरकार ने उच्चतर शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत सिंह को अनुशासनात्मक अथॉरिटी घोषित किया। उन्होंने निलंबित कर्मचारियों को बहाल किया। कटोच ने सरकार के आदेश मानने से ही इंकार कर दिया। क्या हैं आरोप
आरोप है कि आयोग के अध्यक्ष ने अपने पद का दुरुपयोग किया है। सरकारी वाहनों का भी दुरुपयोग हुआ है। कार्यालय की फर्नीचर जैसी संपत्ति को अपने आवास में पहुंचाने का आरोप है। जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रधान सचिव केके पंत ने कटोच को मेमोरेंडम जारी किया था। दस दिन के अंदर इसका जवाब देना था। इसमें कहा गया कि क्यों न आपके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाए? आयोग के कर्मचारियों ने कई शिकायतें की थीं। इसमें अध्यक्ष पर कर्मचारियों के साथ दुर्व्यहार करने, सरकारी वाहनों व पद के दुरुपयोग के आरोप लगाए गए थे।