शांत राज्य हिमाचल में भी अपराध की गूंज
इस साल हिमाचल प्रदेश के माथे पर दो बड़े दाग लगे, ये दाग कसौली गोलीकांड और सिरमौर के शिलाई में दलित नेता केदार जिंदान की जिंदा कुचलने की घटना ने लगाए।
शिमला, रमेश सिंगटा। अमूमन देश के अन्य राज्यों के मुकाबले शांत राज्य हिमाचल में भी अपराध की गूंज सुनाई दी। इस साल 2018 में प्रदेश के माथे पर दो बड़े दाग लगे। यह दाग कसौली गोलीकांड और सिरमौर के शिलाई में दलित नेता केदार जिंदान की जिंदा कुचलने की घटना ने लगाए। कानून व्यवस्था पर विपक्ष ने सवाल उठाए। विधानसभा के अंदर और सदन से बाहर सड़कों पर यह बड़ा मुद्दा बना। गुड़िया प्रकरण और होशियार की मौत मामले में इंसाफ दिलाने के जिस वादे के साथ भाजपा सत्ता में आई थी, सरकार बनने के चंद माह बाद खुद कानून व्यवस्था पर घिरती नजर आई।
हालांकि सरकार ने वन और खनन माफियाओं पर सख्ती भी बरती। अपराध के बेखौफ चिन्ह कई जगहों पर देखने को मिले। संगीन अपराधों का ग्राफ बढ़ने का कारण संपति विवाद, नशे का बढ़ता प्रचलन और काफी हद तक पर्यटन सेक्टर में नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाकर बने अवैध निर्माण से उपजा विवाद भी रहा। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद नशे माफिया पर लगाम नहीं लग पाई है। पहली मई को शैलबाला की हत्या सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर कसौली के होटलों का अवैध निर्माण हटवाने गई सहायक नगर नियोजन अधिकारी शैलबाला पर होटल व्यवसायी ने गोलिया दाग दी। इससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि लोक निर्माण विभाग का बेलदार गुलाब सिंह जख्मी हो गया। उसकी पीजीआइ चंडीगढ़ में मौत हो गई।
सरकार ने मंडल आयुक्त की जांच रिपोर्ट के आधार पर सोलन के पूर्व एसपी मोहित चावला, परवाणू के तत्कालीन डीएसपी रमेश शर्मा, कसौली के पूर्व एसएचओ दिलीप सिंह, धर्मपुर के पूर्व एसएचओ मदन ठाकुर, कसौली के नायब तहसीलदार जगपाल सिंह को निलंबित किया । बाद में सबूतों के अभाव में सभी आरोपमुक्त हो गए थे। युग को मिला इंसाफ इस साल सितंबर महीने में शिमला के चार साल बाद मासूम युग को इंसाफ मिला। चार साल पहले चार वर्षीय बालक की अपहरण के बाद निर्मम हत्या की गई थी। दोषी पाए गए तीन युवकों को जिला एवं सत्र न्यायालय में फांसी की सजा सुनाई है।
जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने मामले को विरलतम से विरलतम अपराध की श्रेणी में रखते हुए सजा का ऐलान किया। यह चौथा मामला है जब प्रदेश में किसी अपराधी को मौत की सजा सुनाई गई। हालाकि अभी तक किसी अपराधी को फांसी नहीं दी गई है। जिन हत्याओं को फासी की सजा हुई, उनमें मुख्य आरोपित चंद्र शर्मा, तेजेंद्र और अंत में विक्रात बख्शी शामिल हैं। इस वर्ष दर्ज मामले श्रेणी, मामले हत्या, 80 गैर इरादन हत्या, 6 हत्या प्रयास, 47 बलात्कार, 267 अपहरण, 377 दहेज उत्पीड़न, 4 महिला अत्याचार,129 दुर्घनाएं, 2324 चोरी, 554 सेंधमारी, 448 एनडीपीएस,1006 एसी/एसटी एक्ट, 70 कुल मामले, 2076 प्रदेश सरकार ने क्या उठाए कदम सत्ता पक्ष ने शीतकालीन सत्र में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॅापिक सबस्टेंस (एनडीपीएस) एक्ट में संशोधन करने का प्रस्ताव लाया। यह विधेयक पारित हो गया है। जैसे ही यह औपचारिक तौर पर कानून बनेगा मादक द्रव्य पदार्थो में थोड़ी मात्रा पकड़े जाने पर भी जमानत नहीं होगी।
इसके अलावा भाग व अफीम को नष्ट करने के लिए अभियान चलाया गया है। सरकार का दावा है कि नशे की माग और सप्लाई कम करने के लिए पड़ोसी राज्यों के साथ समन्वय स्थापित किया गया है। दुकानों का औचक निरीक्षण किया जा रहा है। थाना स्तर पर नशा निवारण कमेटियों का गठन किया गया है। नशा मुक्ति केंद्रों को मजबूत किया जा रहा है।