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नहीं लगेगी आइजीएमसी की दौड़, डेंटल कॉलेज में होंगे कोरोना के टेस्ट

जागरण संवाददाता शिमला शहर के डेंटल कॉलेज में भी जल्द कोरोना की टेस्टिंग शुरू होगी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 04:17 AM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 04:17 AM (IST)
नहीं लगेगी आइजीएमसी की दौड़, डेंटल कॉलेज में होंगे कोरोना के टेस्ट

जागरण संवाददाता, शिमला : शहर के डेंटल कॉलेज में भी जल्द कोरोना की टेस्टिंग शुरू होगी। दांत दर्द का इलाज करने डेंटल कॉलेज पहुंचे मरीजों को अब कोरोना का टेस्ट करवाने इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आइजीएमसी) नहीं जाना होगा।

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मौजूदा समय में डेंटल कॉलेज में इलाज करवाने पहुंचे मरीजों को इलाज से पहले कोरोना नेगेटिव होने की रिपोर्ट की जरूरत होती थी। इसलिए मरीजों को आइजीएमसी के चक्कर काटने पड़ते हैं, लेकिन अब मरीजों का समय बचेगा और कॉलेज में ही कोरोना का टेस्ट हो सकेगा। इसके लिए अलग से स्टाफ की ड्यूटी लगेगी।

कॉलेज प्रधानाचार्य डा. आशु गुप्ता ने बताया कि जल्द टेस्टिंग प्रक्रिया शुरू की जाएगी। रैपिड एंटीजन टेस्टिंग तकनीक से मरीजों के सैंपल लिए जाएंगे और आधे से एक घंटे के अंदर रिपोर्ट तैयार हो जाएगी। इससे मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी और समय पर इलाज भी मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि दांत से संबंधित अधिकतर इलाज की प्रक्रिया में डाक्टर को मुंह के अंदर हाथ डालना होता है। इस प्रक्रिया में डाक्टर का मरीज के साथ पास का संपर्क रहता है। सांस के जरिए मरीज से डाक्टरों को संक्रमण फैलने का डर रहता है। इसलिए एहतियात के तौर पर दांत दर्द के मरीज को कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट लेकर आने की सलाह दी जाती है। ऐसे में मौके पर तैनात को डाक्टरों व प्रशिक्षुओं को संक्रमण से बचाने का प्रयास रहता है और मरीज में भी संक्रमण का पता चल जाता है।

उन्होंने बताया कि कॉलेज में डाक्टरों को मेजर प्रोसिजर (दांत दर्द के इलाज की प्रक्रिया) करने के लिए विभिन्न विभागों में पीपीई किट की व्यवस्था की है ताकि स्टाफ को संक्रमण से बचाया जा सके। इसके अलावा रोजाना परिसर को सैनिटाइज करवाया जाता है ताकि मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। स्टाफ के भी होंगे टेस्ट

रोजाना ओपीडी होने की वजह से डेंटल कॉलेज में लोगों की भीड़ रहती है। ऐसे में कोरोना का खतरा बढ़ जाता है। मरीजों के साथ स्टाफ में संक्रमण की आशंका रहती है। जब अस्पताल में टेस्टिंग की प्रक्रिया चलेगी तो स्टाफ और प्रशिक्षु डाक्टरों के टेस्ट भी करवाए जाएंगे। लिहाजा कॉलेज खुल जाने से ओपीडी बढ़ेगी, इसलिए संक्रमण अधिक बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। अभी तक एहतियात के तौर पर अस्पताल में आने-जाने वालों का नाम व पता रजिस्टर में दर्ज किया जाता है।


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