फर्जी बैंक गारंटी देने पर ठेकेदार को सात साल कैद
सड़क निर्माण के लिए फर्जी बैंक गारंटी देना ठेकेदार को महंगा पड़ा इस मामले में चंबा की सीजेएम कोर्ट ने आरोपित को सात साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। चंबा में सड़क निर्माण के लिए फर्जी बैंक गारंटी देना ठेकेदार को महंगा पड़ा है। धोखाधड़ी से जुड़े इस मामले में चंबा की सीजेएम कोर्ट ने आरोपित को सात साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 40 हजार रुपये का जुर्माना ठोका है। दोषी को 50 हजार रुपये का मुआवजा लोक
निर्माण विभाग को देना होगा। अब सड़क प्रोजेक्ट का दोबारा से टेंडर होगा। मामला 2007 का है।
ठेकेदार अरविंद शर्मा को चंबा में दो करोड़ रुपये के सड़क निर्माण का कार्य अवार्ड हुआ था। इसे लोक निर्माण विभाग ने 2007 में ही अवार्ड किया था। तब इस पर दो करोड़ की लागत आंकी गई और ठेकेदार को सड़क का निर्माण 20 माह में पूरा करने के निर्देश दिए गए थे। ठेकेदार ने एडवांस लेने के लिए विभाग के पास बैंक गारंटी दी। महकमे ने इस गारंटी को जाली पाया।
मामले में विजिलेंस जांच की सिफारिश की गई। जांच कर विजिलेंस ने 29 नवंबर 2010 को आरोपित के खिलाफ चार्जशीट दायर की। ट्रायल के बाद सीजेएम ने आरोपित को धोखाधड़ी का दोषी पाया। कोर्ट ने उसे सात साल की कैद और 40 हजार रुपये जुर्माना किया। यह आदेश भी दिया कि दोषी व्यक्ति लोनिवि को 50 हजार रुपये का मुआवजा चुकाए, क्योंकि सड़क प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन में देरी हुई है।
यह मामला चंबा से संबंधित है। इसकी जांच विजिलेंस ने की थी। चार्जशीट में कोर्ट को तथ्य दिए गए। इसके आधार पर दोषी को सजा हुई है। उसे जुर्माना और मुआवजा दोनों चुकाने होंगे। ठेकेदार भी चंबा का ही रहने वाला है।
-राजेंद्र सिंह भाटिया, एसपी विजिलेंस (एसआइयू), शिमला