नई ऊर्जा के साथ सदन में भाजपा को घेरेगी कांग्रेस
-मुकेश अग्निहोत्री को नेता प्रतिपक्ष बनाने से वीरभद्र भी मजबूत -सदमे से उबरने के लिए चुना मुखर नेत
जागरण टीम, शिमला : हिमाचल में काग्रेस हार के बाद किसी सदमे में रहने के बजाए खुद को संभालने के लिए नए सिरे से व्यवस्था को आधार दे रही है। पार्टी के नेता विधानसभा चुनाव में हार के आकलन के बाद इसी नतीजे पर पहुंचे हैं कि पार्टी का पुनर्निर्माण करना होगा। इसीलिए विपक्ष को तेजतर्रार तरीके से घेरने से लेकर चुनाव क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर काम करना होगा। पार्टी के युवा विधायक मुकेश अग्निहोत्री को जिस प्रकार से काग्रेस विधायक दल का नेता बनाया गया है उससे साफ है कि सदन में अनुभव व युवा शक्ति के जरिये भाजपा की टीम को मजबूत विपक्ष का सामना करना पड़ेगा।
हालांकि काग्रेस में या तो वीरभद्र, रामलाल या विद्या स्टोक्स ही सीएलपी नेता रहे हैं परंतु मुकेश को सीएलपी नेता बनाकर वीरभद्र सिंह धड़े को तवज्जो राहुल गाधी ने दी है। मुकेश अग्निहोत्री कैबिनेट मंत्री रहे हैं और काफी अनुभवी हैं। वीरभद्र सिंह के साथ खड़े रहे और पार्टी के अन्य नेताओं के साथ भी कदमताल करते रहे हैं।
मुकेश की ताजपोशी के साथ ही काग्रेस में भी एक नए युग का सूत्रपात हुआ है जिसमें उम्रदराज लोगों को मुख्य भूमिका से बाहर रखने के लिए कम से कम हाईकमान ने पहल तो की है। वीरभद्र सिंह अब काग्रेस में पीछे खिसक गए हैं और उनके बेटे के लिए भी राजनीतिक तौर पर मुकेश भी एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
मुकेश यूं भी जब काग्रेस सरकार में थे तब भी वीरभद्र की डिफेंस में सबसे ज्यादा बोलते थे, तब इनके पास संसदीय कार्य मंत्री का प्रभार भी था। सदन में विपक्ष की गूंज को शात करने से लेकर विधायकों के आपसी विपक्ष तक सुलझाने या काम मुकेश ने संभाला था। हालाकि अब जीएस बाली, सुधीर शर्मा व कौल सिंह सरीखे नेता सदन में नहीं होंगे। काग्रेस के कई पुराने दिग्गज चुनावों में धराशायी हो चुके हैं। अब सदन में बोलने वाले बहुत ही कम बचे हैं। ऐसे में मुकेश को सीएलपी का नेता बना कर पार्टी हाईकमान ने पार्टी स्तर पर सुधार की शुरुआत तो कम से कम की है।