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कांग्रेस में अब वर्चस्व की जंग

कांग्रेस नेताओं में वर्चस्व की जंग है जो नवनियुक्त प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर के सम्मान समारोह से लेकर ताजपोशी तक के कार्यक्रम में देखने को मिली। कांग्रेस इस दौरान दो नहीं तीन गुटों में बटी नजर आई और तीनों गुटों के समर्थक अपने नेताओं को बड़ा दिखाने के प्रयास में जुटे रहे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 09:53 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 09:53 PM (IST)
कांग्रेस में अब वर्चस्व की जंग
कांग्रेस में अब वर्चस्व की जंग

राज्य ब्यूरो, शिमला : कांग्रेस नेताओं में जारी वर्चस्व की जंग नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर के सम्मान समारोह से लेकर ताजपोशी तक के कार्यक्रम में साफ दिखी। कांग्रेस पार्टी इस दौरान दो नहीं, तीन गुटों में बंटी नजर आई। तीनों गुटों के समर्थक अपने नेताओं को बड़ा दिखाने के प्रयास में जुटे रहे। वीरभद्र, सुक्खू और राठौर के समर्थन में तीन खेमों से नारेबाजी होती रही। इससे कांग्रेस का सामान्य कार्यकर्ता भी भ्रमित नजर आया कि आखिर हो क्या रहा है।

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एककजुटता का सारा पाठ कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में धाराशायी हो गया जब कार्यकर्ताआं में कुर्सियां और लात और घूंसे चले। सबसे बड़ा सवाल यह है कि गुटबाजी और वर्चस्व की इस लड़ाई से कांग्रेस लोकसभा सीटों को कैसे जीतेगी और राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का स्वप्न कैसे पूरा करेगी।

उधर, नवनियुक्त अध्यक्ष अपने आपको जज की भूमिका में तो बता रहे हैं लेकिन सबसे बड़ी अनुशासनहीनता पर कार्रवाई करने से अपने को बचा रहे हैं। राठौर ने चेतावनी देकर अनुशासनहीनता पर संगठन से निष्कासित करने की चेतावनी देते हुए संगठन में बदलाव करने की बात कही है। वह बातों-बातों में यह बता गए सुक्खू को अध्यक्ष उन्होंने बनाया और नेताओं को संगठन में लाया गया, लेकिन शार्टकट नहीं अपनाया। भविष्य में अलग-अलग कार्यक्रम नहीं होंगे जैसे हो रहे थे। सब नेता एक मंच पर मौजूद रहेंगे और एकजुटता का संदेश देंगे। राठौर के सम्मान समारोह से सुक्खू गुट पूरी तरह से नदारद रहा। सुक्खू खुद भी चौड़ा मैदान में नहीं आए। वजह बताई गई कि उनकी तबीयत खराब थी। हालांकि ताजपोशी के दौरान वह जिस जोश से बोल रहे थे, उससे नहीं लगा कि इतने बीमार थे कि सम्मान समारोह में न आ सकें। सुक्खू के साथ न तो विधायक हर्ष वर्धन चौहान, लख¨वद्र राणा, सतपाल रायजादा, विपल्लव ठाकुर कार्यक्रम में आई। यही नहीं जीएस बाली ने भी खुद को पूरी तरह से अलग रखा।

सम्मान समारोह तो सभी को बेहतर लगा। दिल में बहुत कुछ होने के बावजूद गुटबाजी नहीं दिखी। सम्मान सभी का दिया गया। हालांकि इस कार्यक्रम में भी अनुशासनहीनता चरम पर दिखी और स्टेज से बार-बार हाथ जोड़ छोटे स्तर के नेताओं को स्टेज टूटने का हवाला देकर नीचे उतरने को कहना पड़ा। हालांकि ताजपोशी के दौरान दोनों गुटों की झड़प ने सारे कार्यक्रम का मजा किरकिरा कर दिया। पार्टी के एकजुटता और राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनाने के नारे को कार्यकर्ताओं ने कोसों पीछे छोड़ दिया। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान भी यही देखने को मिला था, जिस कारण प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का हार का मुंह देखना पड़ा।


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